ताजा खबर
अहमदाबाद हादसे के बाद एंडरसन-तेंदुलकर ट्रॉफी का अनावरण टला   ||    एअर इंडिया हादसे का वीडियो बनाने वाला 17 साल का आर्यन, पुलिस ने दर्ज किया बयान   ||    LIVE Weather News 14 June 2025: आज से बदल सकता है दिल्ली में मौसम का मिजाज, किन राज्यों में लू का अल...   ||    ‘खराब फ्यूल हो सकता है हादसे का कारण…’, Ahmedabad Plane Crash पर क्या बोले विशेषज्ञ   ||    LIVE आज की ताजा खबर, हिंदी न्यूज Aaj Ki Taaza Khabar, 14 जून 2025: अहमदाबाद पहुंचे पूर्व CM विजय रुप...   ||    अहमदाबाद प्लेन क्रैश पर आया एअर इंडिया के CEO का बयान, जांच को लेकर कही ये बात   ||    Ahmedabad Plane Crash LIVE Update: डीएनए टेस्ट के लिए सैंपल देने आएंगे पूर्व सीएम रूपाणी के बेटे   ||    1 दो नहीं 7 बार सोनम-राज ने रची थी साजिश, पहले 2 प्लान हो जाते सफल तो ना जाती राजा की जान   ||    LIVE Israel Iran War Updates: ईरान के समर्थन में आया चीन, इजरायल के हवाई हमलों को बताया संप्रभुता को...   ||    लॉस एंजेलिस में बिगड़े हालात, अमेरिका ने 200 मरीन जवान किए तैनात   ||   

क्यूबा, ​​हैती, निकारागुआ और वेनेजुएला... ट्रंप का चार देशों पर टूटा कहर, 530,000 लोगों का छीना लीगल स्टेटस, छोड़ना पड़ेगा अमेरिका!

Photo Source :

Posted On:Saturday, March 22, 2025

संयुक्त राज्य अमेरिका में रह रहे लगभग 530,000 अप्रवासी नागरिकों के लिए एक झटका देने वाली खबर आई है। डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन ने शुक्रवार को घोषणा की है कि वह क्यूबा, हैती, निकारागुआ और वेनेजुएला से आए अप्रवासियों के कानूनी संरक्षण को रद्द कर रहा है। यह कदम अमेरिकी होमलैंड सुरक्षा विभाग द्वारा लिया गया है, जिससे इन प्रवासियों का कानूनी दर्जा एक महीने के भीतर समाप्त हो जाएगा। इसका सीधा मतलब यह है कि इन प्रवासियों को अमेरिका छोड़कर अपने मूल देशों में लौटना होगा। इस फैसले के साथ ही अमेरिका में अप्रवासियों की स्थिति एक बार फिर वैश्विक बहस का विषय बन गई है। मानवाधिकार संगठनों से लेकर राजनीतिक विश्लेषक तक, सभी इस निर्णय के सामाजिक, आर्थिक और मानवीय पहलुओं पर सवाल उठा रहे हैं।

क्यों लिया गया यह कठोर फैसला?

डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन ने बार-बार यह दोहराया है कि अमेरिका की सीमाओं की सुरक्षा और अप्रवासियों पर नियंत्रण उनकी प्राथमिकता है। ट्रंप का मानना है कि अमेरिका में अवैध रूप से रह रहे अप्रवासी देश की आंतरिक सुरक्षा, अर्थव्यवस्था और संसाधनों पर दबाव डालते हैं। यही वजह है कि वे लगातार ऐसे कदम उठा रहे हैं, जो अमेरिका को 'अवैध अप्रवासियों' से मुक्त बनाने की दिशा में माने जा रहे हैं। होमलैंड सिक्योरिटी विभाग (Department of Homeland Security - DHS) ने कहा है कि क्यूबा, हैती, निकारागुआ और वेनेजुएला के नागरिक, जो अक्टूबर 2022 में फाइनेंसियल स्पॉन्सर के जरिए अमेरिका आए थे, अब पैरोल अवधि समाप्त होने के कारण लीगल स्टेटस गंवा देंगे। विभाग के अनुसार, यह बदलाव 24 अप्रैल को संघीय रजिस्टर में नोटिस प्रकाशित होने के 30 दिन बाद प्रभाव में आएगा।

मानवीय पैरोल सिस्टम और उसका अंत

अमेरिका में मानवीय पैरोल सिस्टम एक विशेष कानूनी व्यवस्था रही है, जिसके तहत उन देशों के नागरिकों को अमेरिका में प्रवेश की अनुमति दी जाती थी जहां युद्ध, राजनीतिक अस्थिरता या मानवाधिकार उल्लंघन जैसे हालात हों। इस व्यवस्था के तहत उन्हें अमेरिका में अस्थायी तौर पर रहने और काम करने की अनुमति मिलती थी।

पूर्व राष्ट्रपति जो बाइडेन ने इसी प्रणाली के तहत अक्टूबर 2022 में वेनेजुएला से आए अप्रवासियों के लिए एक विशेष कार्यक्रम शुरू किया था। बाद में 2023 में इसका विस्तार करते हुए क्यूबा, हैती और निकारागुआ के नागरिकों को भी इसमें शामिल किया गया। इस कार्यक्रम में अमेरिका में प्रवेश के लिए शर्त यह थी कि इन लोगों के पास अमेरिका में फाइनेंसियल स्पॉन्सर हो, जो उनके आर्थिक खर्चों की जिम्मेदारी ले। लेकिन अब ट्रंप प्रशासन ने यह आरोप लगाया है कि इस सिस्टम का व्यापक दुरुपयोग हो रहा है। ट्रंप का कहना है कि पैरोल प्रोग्राम के माध्यम से कई लोग अमेरिका में अवैध रूप से प्रवेश कर रहे हैं और यह अमेरिकी आव्रजन कानूनों का उल्लंघन है।

क्या है ट्रंप प्रशासन का तर्क?

डोनाल्ड ट्रंप ने राष्ट्रपति पद संभालते ही अवैध अप्रवासियों के खिलाफ सख्त रुख अपना लिया है। उन्होंने दावा किया कि बाइडेन प्रशासन के बनाए नियम अमेरिका की सीमाओं की सुरक्षा को कमजोर करते हैं और अमेरिकी नागरिकों की नौकरियों और संसाधनों पर खतरा पैदा करते हैं। उनके अनुसार, पैरोल प्रोग्राम से "कानूनी सीमाएं पार हो गईं" और यह "अमेरिकी संप्रभुता" के लिए खतरनाक है।

20 जनवरी को ट्रंप प्रशासन ने इसके खिलाफ कार्यकारी आदेश जारी किया। इसमें कहा गया कि अमेरिका में पैरोल प्रोग्राम के तहत प्रवेश करने वाले नागरिकों को, जिनके पास अब वैध लीगल स्टेटस नहीं है, स्वेच्छा से देश छोड़ देना चाहिए। अगर वे ऐसा नहीं करते हैं, तो उन्हें डिपोर्टेशन का सामना करना पड़ेगा। होमलैंड सिक्योरिटी विभाग ने एक प्रेस रिलीज़ में कहा, "जो लोग अपनी पैरोल की समाप्ति तिथि से पहले अमेरिका नहीं छोड़ेंगे, उन्हें आव्रजन अधिकारियों द्वारा हिरासत में लिया जाएगा और उन्हें उनके देश भेज दिया जाएगा।"

बाइडेन का मानवीय दृष्टिकोण और उसका अंत

पूर्व राष्ट्रपति जो बाइडेन ने अपने कार्यकाल के दौरान एक मानवीय दृष्टिकोण अपनाया था। उन्होंने इन चार देशों के नागरिकों को अमेरिका में शरण दी थी ताकि वे अपने देशों में जारी राजनीतिक संकट, आर्थिक अस्थिरता और मानवाधिकार उल्लंघनों से बच सकें। बाइडेन के इस फैसले को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सराहना भी मिली थी। लेकिन अब ट्रंप की नई नीतियों के चलते इन नागरिकों को अमेरिका छोड़ना पड़ सकता है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, यह स्पष्ट नहीं है कि पैरोल प्रोग्राम के तहत आए लोगों में से कितनों ने अब तक स्थायी रेजिडेंसी या अन्य कानूनी स्टेटस हासिल किया है। जिन लोगों ने नहीं किया है, वे निर्वासन के खतरे में हैं।

राजनीतिक और सामाजिक प्रतिक्रिया

ट्रंप प्रशासन के इस फैसले की आलोचना हो रही है। मानवाधिकार संगठन और अप्रवासी अधिकार कार्यकर्ता इसे "अमानवीय" और "राजनीतिक प्रतिशोध" बता रहे हैं। उनका कहना है कि इन चार देशों में अभी भी हालात सामान्य नहीं हैं। वहां लौटना इन अप्रवासियों के लिए खतरे से खाली नहीं होगा। ह्यूमन राइट्स वॉच ने कहा, "यह फैसला लाखों लोगों को विस्थापन और असुरक्षा के गर्त में धकेल देगा। अमेरिका को अपने मानवीय जिम्मेदारियों का निर्वहन करना चाहिए।" दूसरी तरफ, ट्रंप समर्थकों और रिपब्लिकन नेताओं ने इस कदम की सराहना की है। उनका कहना है कि यह अमेरिका की सीमाओं को सुरक्षित करने की दिशा में आवश्यक कदम है। रिपब्लिकन सीनेटर टॉम कॉटन ने कहा, "ट्रंप प्रशासन ने जो कदम उठाया है, वह अमेरिका की संप्रभुता और राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए सही है। हम अवैध अप्रवासन को बर्दाश्त नहीं करेंगे।"

अप्रवासियों की स्थिति और डर

अमेरिका में रह रहे क्यूबा, हैती, निकारागुआ और वेनेजुएला के नागरिकों में इस फैसले के बाद घबराहट का माहौल है। कई लोगों ने मीडिया से बातचीत में बताया कि वे अपने देशों में वापस जाने से डरते हैं क्योंकि वहां राजनीतिक उत्पीड़न, आर्थिक संकट और हिंसा की स्थिति अभी भी बनी हुई है। फ्लोरिडा में रहने वाली एक वेनेजुएलाई अप्रवासी मारिया ने कहा, "मैंने अपने बच्चों के लिए सुरक्षित भविष्य की उम्मीद में अमेरिका में पनाह ली थी। अब अगर हमें वापस भेजा जाता है, तो हमारी जिंदगी खतरे में पड़ जाएगी।"

आगे क्या होगा? संभावनाएं और समाधान

ट्रंप प्रशासन का यह फैसला अप्रवासियों के लिए नई चुनौती खड़ी कर रहा है। कई कानूनी विशेषज्ञ मानते हैं कि इन अप्रवासियों के पास अभी भी कुछ कानूनी विकल्प हो सकते हैं, जैसे शरण आवेदन (Asylum), टेम्पररी प्रोटेक्टेड स्टेटस (TPS) या अन्य आव्रजन कार्यक्रम। लेकिन इन प्रक्रियाओं में समय लगता है और सफलता की गारंटी नहीं होती। ट्रंप प्रशासन ने यह भी स्पष्ट कर दिया है कि अमेरिका में अवैध रूप से रह रहे अप्रवासियों को किसी भी तरह की छूट नहीं दी जाएगी। इसके लिए ICE (Immigration and Customs Enforcement) की टीमें सक्रिय रूप से काम कर रही हैं।

निष्कर्ष: मानवीय संकट या सुरक्षा प्राथमिकता?

डोनाल्ड ट्रंप का यह फैसला एक बार फिर अमेरिका में अप्रवास नीति को केंद्र में ला खड़ा करता है। यह बहस तेज हो गई है कि क्या अमेरिका की राष्ट्रीय सुरक्षा और संसाधनों की रक्षा के लिए ऐसे कठोर कदम उठाना जरूरी है, या फिर मानवीय दृष्टिकोण अपनाना चाहिए, जैसा कि बाइडेन प्रशासन ने किया था। यह देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले महीनों में यह मामला कानूनी और राजनीतिक रूप से किस दिशा में आगे बढ़ता है। क्या ट्रंप प्रशासन को अदालतों से चुनौती मिलेगी या फिर यह नीति स्थायी रूप से लागू हो पाएगी? फिलहाल, अमेरिका में रह रहे लाखों अप्रवासियों के भविष्य पर अनिश्चितता का साया मंडरा रहा है।


अहमदाबाद और देश, दुनियाँ की ताजा ख़बरे हमारे Facebook पर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें,
और Telegram चैनल पर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें



मेरा गाँव मेरा देश

अगर आप एक जागृत नागरिक है और अपने आसपास की घटनाओं या अपने क्षेत्र की समस्याओं को हमारे साथ साझा कर अपने गाँव, शहर और देश को और बेहतर बनाना चाहते हैं तो जुड़िए हमसे अपनी रिपोर्ट के जरिए. ahmedabadvocalsteam@gmail.com

Follow us on

Copyright © 2021  |  All Rights Reserved.

Powered By Newsify Network Pvt. Ltd.