अहमदाबाद न्यूज डेस्क: गुजरात के अहमदाबाद में एक समलैंगिक व्यक्ति की हत्या के 14 साल बाद उसका साथी गिरफ्तार हुआ है। आरोपी ने अपने साथी की हत्या के बाद शव को अपने किराए के घर के किचन में छिपा दिया था। कुछ दिन बाद शव को अत्यंत खराब स्थिति में बरामद किया गया था। तब से पुलिस आरोपी की खोज कर रही थी, लेकिन वह महाराष्ट्र भागकर छिप गया था।
जानकारी के अनुसार, यह हत्या की घटना 29 जून, 2010 को हुई थी। आरोपी का नाम रमेश देसाई है, जो अपने समलैंगिक साथी मनीष सहाय के साथ एक किराए के घर में रहता था। उस दिन दोनों के बीच किसी बात को लेकर विवाद हुआ, जिसके चलते उनकी झड़प हो गई। इसी झगड़े के दौरान, रमेश ने ईंट से हमला कर मनीष को मार डाला। इसके बाद उसने शव को नंगा कर टेप से बांध दिया।
फिर उसने शव को कपड़े में लपेटकर अपने किराए के घर के किचन के सिंक के नीचे रेत और सीमेंट के नीचे छिपा दिया। अपराध को अंजाम देने के बाद रमेश देसाई मनीष सहाय की मोपेड पर फरार हो गया। वह अगले आठ साल तक राजस्थान में रहा और फिर अपनी पहचान बदलकर मुंबई के एक होटल में काम करने लगा। उस समय 34 वर्षीय मनीष का शव कुछ दिन बाद क्षत-विक्षत अवस्था में बरामद हुआ।
इस मामले की नाजुक स्थिति को ध्यान में रखते हुए, क्राइम ब्रांच ने हत्या के कई साल बाद फिर से जांच शुरू की और सुराग इकट्ठा करने के लिए अपने सूत्रों को सक्रिय किया। क्राइम ब्रांच ने बताया, "आखिरकार संदिग्ध को अहमदाबाद के निकट एक जगह पर पाया गया, जो मुंबई से राजस्थान के मार्ग में था। पूछताछ के दौरान, उसने शुरुआत में झूठी पहचान दी, लेकिन बाद में अपनी असली पहचान स्वीकार कर ली।
आरोपी रमेश देसाई ने पुलिस को बताया कि उसके और मनीष सहाय के बीच समलैंगिक संबंध थे। हत्या के दिन, उनके बीच बहस हुई, जिसके चलते देसाई ने सहाय पर ईंट से वार किया, जिससे वह गंभीर रूप से घायल हो गया। शव को उसी स्थान पर छिपाने के बाद, देसाई वहां से भाग निकला और आठ साल तक राजस्थान में रहा। पुलिस के मुताबिक, उसने अपना नाम बदल दिया और नए पहचान दस्तावेज भी तैयार कराए थे।
अपने नए नाम से उसने जीवन बीमा पॉलिसी भी बनवाई थी। इसके बाद, 2017 में वह स्थायी रूप से महाराष्ट्र चला गया और नवी मुंबई के खारघर इलाके में एक होटल में सीनियर मैनेजर के पद पर काम करने लगा। लेकिन केस की फिर से जांच कर रही पुलिस ने सुरागों को जोड़ते हुए उसका ठिकाना खोज लिया। पुलिस ने जाल बिछाया और रमेश को तब गिरफ्तार किया, जब वह किसी काम से राजस्थान जाने की तैयारी कर रहा था।