अहमदाबाद न्यूज डेस्क: नवरात्रि के दौरान अहमदाबाद गरबा और डांडिया का हब बन जाता है। यहाँ के हर घर से कम से कम एक सदस्य रात भर गरबा ग्राउंड्स में गरबा और डांडिया का आनंद लेता है। लेकिन कल रात को अहमदाबाद के गरबा ग्राउंड्स में एक अनोखा दृश्य देखने को मिला, जो शायद कई लोगों के लिए अविस्मरणीय रहा होगा।
अहमदाबाद के गरबा ग्राउंड्स में 9 अक्तूबर की आधी रात को एक अनोखी घटना घटी। अचानक से गरबा को रोक दिया गया, लेकिन सबसे आश्चर्यजनक बात यह थी कि इसके बावजूद वहाँ मौजूद लोगों ने न तो विरोध किया और न ही हंगामा खड़ा किया। सभी लोग चुपचाप खड़े रहे, जैसे समय थम सा गया हो।
अहमदाबाद में गरबा रोकने के पीछे की वजह टाटा समूह के चेयरमैन रतन टाटा का निधन था। 9 अक्तूबर की आधी रात को मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में रतन टाटा का निधन हो गया, जिसकी खबर जंगल की आग की तरह पूरे देश में फैल गयी।
अहमदाबाद में गरबा ग्राउंड्स में जब यह खबर पहुंची, तो तुरंत गरबा को रोक दिया गया और रतन टाटा को श्रद्धांजलि दी गई। सभी ने अपनी-अपनी जगह पर चुपचाप खड़े होकर रतन टाटा को सम्मान जताते हुए 2 मिनट का मौन रखा, जो एक अद्वितीय और भावपूर्ण क्षण था। यह घटना रतन टाटा के प्रति सम्मान और आदर का प्रतीक है।
इसके बाद, अहमदाबाद के गरबा ग्राउंड्स में मौजूद लोगों ने अपने मोबाइल के फ्लैश जलाकर रतन टाटा को श्रद्धांजलि दी और उनके देश व समाज के विकास में किए गए योगदानों को याद किया। 86 वर्षीय रतन टाटा एक महान उद्योगपति थे, जिन्होंने टाटा ग्रुप को वैश्विक स्तर पर पहचान दिलाई।
रतन टाटा की सफलता की कहानी न केवल उनके व्यवसायिक कौशल में है, बल्कि उनकी दरियादिली और कर्मचारियों के प्रति उनके सहानुभूतिपूर्ण दृष्टिकोण में भी है। वह अपने कर्मचारियों को अपने परिवार का हिस्सा मानते थे, जो उनकी महान मानवता को दर्शाता है। रतन टाटा का निधन एक बड़ी क्षति है, लेकिन उनकी विरासत और योगदान हमेशा याद रखे जाएंगे।