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2 अप्रैल को घोषित टैरिफ US में आज से लागू, व्हाइट हाउस ने जारी किया ये बयान

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Posted On:Wednesday, April 2, 2025

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प 2 अप्रैल को नए टैरिफ की घोषणा करेंगे, जो तत्काल प्रभावी होंगे। इसके अलावा, ट्रम्प ऑटो टैरिफ की भी घोषणा करेंगे, जो 3 अप्रैल से प्रभावी होगा। व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव कैरोलिन लेविट ने इस संबंध में संवाददाताओं को जानकारी दी। उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति ट्रम्प टैरिफ योजना को अंतिम रूप देने के लिए अपने व्यापार सलाहकारों के साथ काम कर रहे हैं। लेविट ने कहा कि राष्ट्रपति ट्रम्प अमेरिकी श्रमिकों के लिए चीजों को बेहतर बनाने के लिए व्यापार और टैरिफ टीम के साथ काम करने की योजना बना रहे हैं। आपको 24 घंटे के भीतर टैरिफ के बारे में जानकारी मिल जाएगी। राष्ट्रपति ट्रम्प उन देशों और कंपनियों के साथ बातचीत करने को भी तैयार हैं जो कम टैरिफ चाहते हैं। इस संबंध में कई देशों ने अमेरिका से संपर्क किया है।

'मुक्ति दिवस' पर होगी घोषणा

नए पारस्परिक टैरिफ की घोषणा डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा 'मुक्ति दिवस' पर व्हाइट हाउस के रोज़ गार्डन में की जाएगी। ट्रम्प ने सोमवार को दावा किया कि भारत अमेरिकी आयात पर शुल्क कम करेगा। कई देश वर्षों से अमेरिका पर अनुचित तरीके से टैरिफ लगाते रहे हैं, जिसे अब कम किया जाएगा। अमेरिकी टैरिफ को लेकर दुनिया भर में हंगामा मचा हुआ है। मंगलवार को इसका असर भारतीय बाजार पर भी देखने को मिला। शेयर बाजार में 1400 अंकों की गिरावट रही, जबकि एनएसई का निफ्टी 353 अंकों की गिरावट पर रहा। लेविट के अनुसार, ट्रम्प अमेरिकी इतिहास की गलतियों को सुधारने के लिए काम कर रहे हैं।

इसकी घोषणा 20 जनवरी को की गई थी

ट्रम्प अमेरिकी श्रमिकों को उनके अधिकार दिलाने के बारे में चिंतित हैं। नये टैरिफ की घोषणा शाम 4 बजे तक की जा सकती है। राष्ट्रपति ट्रम्प ने पदभार ग्रहण करने के बाद 20 जनवरी को इन टैरिफों की घोषणा की थी। पारस्परिक टैरिफ आयात शुल्क की श्रेणी का हिस्सा हैं। कनाडा और मैक्सिको से आयात पर उच्च शुल्क लगाया गया है। साथ ही धातुओं पर जोन-आधारित टैरिफ लगाए गए हैं। ट्रम्प ने पिछले सप्ताह आश्वासन दिया था कि ऑटो क्षेत्र पर स्थायी टैरिफ इस गुरुवार से लागू हो जायेंगे।

पारस्परिक टैरिफ के बारे में जानें

यह एक आर्थिक नीति है जो अमेरिकी उत्पादों को विश्व बाजार में अधिक प्रतिस्पर्धी बनाती है। व्यापार समझौतों में अमेरिका को समान अवसर और लाभ मिले, इसलिए डोनाल्ड ट्रम्प ने इसे लागू किया है। जो देश अमेरिकी उत्पादों पर उच्च आयात शुल्क लगाते हैं, उन्हें व्यापार समझौतों को संतुलित करने के लिए पारस्परिक शुल्क का भुगतान करना होगा।

किन देशों पर अमेरिका की नजर?

सीएनबीसी की एक रिपोर्ट के अनुसार, ट्रम्प की राष्ट्रीय आर्थिक परिषद के निदेशक केविन हैसेट ने कहा कि अमेरिकी सरकार मुख्य रूप से उन 10 से 15 देशों पर नजर रख रही है जो अमेरिका के व्यापार घाटे में सबसे अधिक योगदान दे रहे हैं। इनमें प्रमुख रूप से चीन, यूरोपीय संघ, मैक्सिको, वियतनाम, आयरलैंड, जर्मनी, ताइवान, जापान, दक्षिण कोरिया, कनाडा, भारत, थाईलैंड, इटली, स्विट्जरलैंड, मलेशिया, इंडोनेशिया, फ्रांस, ऑस्ट्रिया और स्वीडन शामिल हैं। अगर इन देशों को देखा जाए, तो भारत भी अमेरिका की निगरानी सूची में एक प्रमुख स्थान पर है।

भारत बड़ी कटौती के लिए तैयार?

भारत लगातार इस मुद्दे पर बीच का रास्ता निकालने की कोशिश कर रहा है। इस संदर्भ में, भारत के वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री अमेरिका का दौरा भी कर चुके हैं। कुछ रिपोर्टों के अनुसार, भारत 23 अरब डॉलर के अमेरिकी आयात पर शुल्क में कटौती करने के लिए भी तैयार हो सकता है। ट्रम्प भी ऐसी रिपोर्टों से अवगत हैं और उन्होंने हाल ही में कहा कि उन्होंने सुना है कि भारत अब अमेरिकी वस्तुओं पर कर कम करने जा रहा है। उनका मानना है कि टैरिफ बढ़ाने के इस फैसले से कई देशों की व्यापारिक नीतियों में सुधार होगा और अमेरिका के व्यापार घाटे को कम किया जा सकेगा।

क्या भारतीय कंपनियों को होगा नुकसान?

एक रिपोर्ट में कहा गया है कि डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ नीति से भारत के निम्नलिखित उद्योगों को भारी नुकसान हो सकता है:

  1. फार्मास्युटिकल्स: भारत विश्व में जेनेरिक दवाओं का सबसे बड़ा निर्यातक है। वर्तमान में, अमेरिका भारतीय दवा उत्पादों के आयात पर शून्य शुल्क लगाता है, जबकि भारत अमेरिकी दवा आयात पर लगभग 10% शुल्क लगाता है। पारस्परिक टैरिफ के तहत, अमेरिका भी 10% टैरिफ लगा सकता है।

  2. केमिकल इंडस्ट्री: भारत अमेरिका को कई रसायन और औद्योगिक उत्पाद निर्यात करता है। नए टैरिफ से इस क्षेत्र को झटका लग सकता है।

  3. टेक्सटाइल और गारमेंट: भारतीय कपड़ा उद्योग अमेरिका के प्रमुख बाजारों में से एक है। अगर अमेरिका आयात शुल्क बढ़ाता है, तो यह क्षेत्र आर्थिक दबाव में आ सकता है।

  4. ऑटो पार्ट्स और इंजीनियरिंग सेक्टर: भारत के ऑटो पार्ट्स और इंजीनियरिंग सेक्टर के लिए अमेरिका एक बड़ा बाजार है। नए टैरिफ इन क्षेत्रों के निर्यात को प्रभावित कर सकते हैं।

  5. सोलर एनर्जी सेक्टर: भारत अमेरिका को सौर पैनल और उपकरण निर्यात करता है। अगर अमेरिका टैरिफ बढ़ाता है, तो भारतीय सौर उद्योग को भी नुकसान हो सकता है।

वैश्विक व्यापार पर प्रभाव

ट्रंप के इस फैसले का प्रभाव केवल भारत पर ही नहीं बल्कि पूरे वैश्विक बाजार पर पड़ सकता है। चीन और यूरोपीय संघ जैसे देशों ने पहले ही इस नीति की आलोचना की है और वे अमेरिका के इस कदम के खिलाफ जवाबी कार्रवाई करने की योजना बना रहे हैं। अगर अमेरिका अपने नए टैरिफ को सख्ती से लागू करता है, तो यह एक नया वैश्विक व्यापार युद्ध छेड़ सकता है, जिसका प्रभाव भारत सहित सभी प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं पर पड़ सकता है।

निष्कर्ष

डोनाल्ड ट्रंप की नई टैरिफ नीति वैश्विक व्यापार में एक नया अध्याय जोड़ने जा रही है। यह देखना दिलचस्प होगा कि भारत और अन्य प्रभावित देश इस चुनौती का सामना कैसे करते हैं। भारत सरकार ने इस मुद्दे पर अमेरिकी प्रशासन से बातचीत करने के संकेत दिए हैं, लेकिन क्या यह बातचीत भारत के हित में रहेगी, यह समय ही बताएगा।

अमेरिकी राष्ट्रपति के इस फैसले से वैश्विक व्यापार प्रणाली में एक बड़ा बदलाव आ सकता है। अगर भारत को अमेरिकी बाजार में अपनी उपस्थिति बनाए रखनी है, तो उसे नई रणनीतियां अपनानी होंगी। 2 अप्रैल का दिन भारत के व्यापारिक भविष्य के लिए महत्वपूर्ण साबित हो सकता है।


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