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‘पाकिस्तान की ‘झूठे झंडे’ की कहानी बेबुनियाद’; UNSC के सदस्यों ने भारत के ‘दुश्मन’ पर उठाए सवाल

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Posted On:Tuesday, May 6, 2025

22 अप्रैल को भारत के जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए भीषण आतंकी हमले के बाद अंतरराष्ट्रीय मंचों पर पाकिस्तान को लेकर माहौल तेजी से बदल रहा है। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) की हालिया बंद कमरे में हुई बैठक में परिषद के कई सदस्यों ने पहली बार खुलकर पाकिस्तान से जवाबदेही की मांग की है और उसकी तथाकथित “झूठे झंडे” की थ्योरी को खारिज कर दिया है। इस बैठक में कई देशों ने स्पष्ट तौर पर कहा कि लश्कर-ए-तैयबा जैसे आतंकी संगठनों की भूमिका की जांच होनी चाहिए और पाकिस्तान को आतंकी ढांचे को खत्म करने की दिशा में ठोस कदम उठाने होंगे।

UNSC की सख्त टिप्पणियां

बैठक में शामिल कई देशों ने पर्यटकों पर धार्मिक आस्था के आधार पर हमला करने को अत्यंत गंभीर अपराध बताया और इसकी निंदा की। उन्होंने पाकिस्तान से सीधे पूछा कि क्या लश्कर-ए-तैयबा का हमले में हाथ हो सकता है, और यदि ऐसा है, तो उसे इस पर तुरंत और पारदर्शी जवाब देना चाहिए। परिषद के सदस्यों ने स्पष्ट किया कि ऐसी आतंकवादी गतिविधियाँ क्षेत्रीय स्थिरता को खतरे में डालती हैं और अंतरराष्ट्रीय शांति व सुरक्षा के लिए गंभीर चुनौती हैं।

इसके अलावा, पाकिस्तान द्वारा परमाणु हथियारों को लेकर दिए जा रहे बयान और हाल के मिसाइल परीक्षणों को भी परिषद ने तनाव भड़काने वाले कदम करार दिया। यह भी ज़िक्र किया गया कि पाकिस्तान ने इस मामले को अंतरराष्ट्रीयकरण करने की जो कोशिशें की हैं, वे सफल नहीं हो सकीं। परिषद ने स्पष्ट किया कि भारत और पाकिस्तान को अपने विवादों को द्विपक्षीय बातचीत के ज़रिये सुलझाना चाहिए।

क्या है ‘झूठे झंडे’ की कहानी?

पाकिस्तान ने इस हमले के बाद दावा किया कि भारत जानबूझकर इस हमले को पाकिस्तान पर थोप रहा है। उसने इसे "False Flag Operation" कहा — यानी एक ऐसी कार्रवाई, जिसमें कोई देश खुद घटना को अंजाम देता है और इसका आरोप किसी और पर मढ़ देता है।

इस संदर्भ में सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हुआ, जिसमें एक हरे रंग के झंडे को पाकिस्तान का झंडा बताया गया था। बाद में खुलासा हुआ कि वह झंडा इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (IUML) का था, न कि पाकिस्तान का। पाकिस्तान ने इस तरह के उदाहरणों को पेश करते हुए कहा कि भारत हमला खुद करवा कर पाकिस्तान को बदनाम कर रहा है।

हालांकि विशेषज्ञों और सुरक्षा विश्लेषकों का कहना है कि यह तर्क बेहद कमजोर है, क्योंकि हमले में जिस तरह के हथियार, रणनीति और टारगेटिंग पैटर्न देखे गए हैं, वे पूरी तरह से पाक समर्थित आतंकी संगठनों की पहचान से मेल खाते हैं, खासकर लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद जैसे गुटों की कार्यशैली से।

UNSC की बदली हुई भाषा और रुख

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की यह प्रतिक्रिया दर्शाती है कि अब वैश्विक समुदाय पाकिस्तान के आतंकवाद से जुड़े ढांचे को लेकर और अधिक गंभीर होता जा रहा है। पहले जहां UNSC के बयान अक्सर “दोनों पक्षों से संयम बरतने” की अपील तक सीमित रहते थे, अब बात जवाबदेही और आतंकी संगठन की भूमिका की जांच की हो रही है। यह भारत की एक कूटनीतिक जीत के रूप में देखा जा सकता है, क्योंकि भारत पिछले कई वर्षों से इस बात की पैरवी कर रहा है कि पाकिस्तान की धरती से संचालित आतंकी संगठन पूरी दुनिया के लिए खतरा हैं।

आगे क्या हो सकता है?

भारत की मांग है कि पाकिस्तान को FATF (Financial Action Task Force) की ग्रे लिस्ट में फिर से डाला जाए और उसे मिलने वाली अंतरराष्ट्रीय आर्थिक सहायता पर रोक लगे। इसके लिए भारत ADB और IMF जैसे संस्थानों से भी संपर्क में है। वहीं, पाकिस्तान यदि लश्कर या जैश जैसे संगठनों के खिलाफ ठोस कार्रवाई नहीं करता, तो उसके अंतरराष्ट्रीय संबंध और आर्थिक स्थिति और बदतर हो सकती है।

निष्कर्ष

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की बैठक यह संकेत देती है कि अब “झूठे झंडे” की कहानियों से बात टाली नहीं जा सकती। पाकिस्तान को अब अंतरराष्ट्रीय मंच पर आतंकवाद के खिलाफ अपनी भूमिका स्पष्ट करनी ही होगी। यदि वह ऐसा नहीं करता, तो उसे अंतरराष्ट्रीय अलगाव और आर्थिक प्रतिबंधों का सामना करना पड़ सकता है। इस हमले ने एक बार फिर स्पष्ट कर दिया है कि आतंकवाद किसी एक देश की समस्या नहीं, बल्कि वैश्विक संकट है—जिससे निपटने के लिए ठोस, ईमानदार और जवाबदेह प्रयासों की ज़रूरत है।


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