भारत की एक नर्स, निमिषा प्रिया, इन दिनों यमन की जेल में मौत की सजा भुगत रही हैं। उन पर एक यमनी नागरिक की हत्या का आरोप है, जिसके चलते उन्हें यमन की अदालत ने मृत्युदंड सुनाया है। लेकिन इस फैसले के खिलाफ अब एक भावुक और मानवीय मोर्चा खोल दिया गया है। निमिषा प्रिया की 13 वर्षीय बेटी मिशेल, उनके पति थॉमस और ग्लोबल पीस इनिशिएटिव के संस्थापक डॉ. केए पॉल ने एक वीडियो अपील जारी कर यमन के हूती प्रशासन से उनकी रिहाई की भावुक अपील की है।
कौन हैं निमिषा प्रिया?
निमिषा प्रिया केरल की एक शिक्षित और पेशेवर नर्स हैं, जो वर्षों पहले काम की तलाश में यमन गई थीं। यमन में रहते हुए उन्होंने एक स्थानीय नागरिक के साथ व्यावसायिक भागीदारी की, लेकिन कुछ विवादों के बाद हालात बिगड़ गए। 2017 में उन पर यमन के एक नागरिक की हत्या का आरोप लगा, जिसके बाद उन्हें गिरफ्तार किया गया। कई कानूनी प्रक्रियाओं के बाद यमन की अदालत ने उन्हें सजा-ए-मौत सुनाई।
मां की रिहाई के लिए बेटी की अपील
इस पूरे घटनाक्रम में सबसे विचलित करने वाला पहलू यह है कि निमिषा की नाबालिग बेटी मिशेल अपनी मां से दूर भारत में पली-बढ़ी। अब जब उसे अपनी मां के हालात का पूरी तरह से पता चला, तो उसने यमन की राजधानी सना जाकर मानवता की गुहार लगाई है। वीडियो में मिशेल ने मलयालम और अंग्रेज़ी में कहा:
“मां, मैं तुमसे बहुत प्यार करती हूं। कृपया मेरी बात सुनें, मेरी मां को रिहा कर दें। मैं अब और अकेली नहीं रह सकती।”
मिशेल की यह भावनात्मक अपील न सिर्फ हूती प्रशासन के लिए बल्कि पूरे विश्व समुदाय के लिए एक झकझोर देने वाला संदेश बनकर उभरा है।
डॉ. केए पॉल का प्रयास
वीडियो में मिशेल के साथ मौजूद हैं डॉ. किलारी आनंद पॉल, जो आंध्र प्रदेश से संबंध रखते हैं और विश्व शांति के लिए काम करने वाले Global Peace Initiative (GPI) के संस्थापक हैं। डॉ. पॉल अमेरिका में भी सक्रिय हैं और उन्होंने कई अंतरराष्ट्रीय शांति प्रयासों में हिस्सा लिया है।
इस अभियान को उन्होंने न सिर्फ एक मानवीय प्रयास बताया, बल्कि यह भी कहा कि:
“निमिषा प्रिया की सजा को माफ करना यमन में शांति और न्याय के लिए एक मजबूत संदेश होगा।”
उन्होंने हूती प्रशासन से अपील की है कि इस मामले में नरमी बरतते हुए मिशेल को उसकी मां वापस दी जाए।
कूटनीतिक स्तर पर भी हो रही है कोशिश
इस मामले में भारत सरकार भी सक्रिय है। विदेश मंत्रालय के माध्यम से यमन के अधिकारियों से संपर्क साधा जा रहा है, लेकिन यमन में चल रहे गृहयुद्ध और हूती विद्रोह के कारण यह प्रक्रिया काफी जटिल हो गई है। ऐसे में मिशेल और डॉ. पॉल का यह वीडियो न सिर्फ भावनात्मक है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय को मानवाधिकार और क्षमा की ओर एक बार फिर सोचने को मजबूर कर रहा है।
क्या है अगला कदम?
ग्लोबल पीस इनिशिएटिव की योजना है कि वे यमन में मौजूद हूती नेताओं और धार्मिक नेताओं से मुलाकात कर इस केस को एक मानवीय नजरिए से देखने की अपील करें। इसके लिए एक "ब्लड मनी" यानी मुआवज़ा रकम की पेशकश भी की जा सकती है, जो यमन की परंपरा के अनुसार एक मृतक के परिजनों को देकर सजा से राहत दिलाने का विकल्प है।
भारत की जनता की भी जिम्मेदारी
अब जब निमिषा प्रिया की बेटी मिशेल यमन जाकर मां को बचाने की कोशिश कर रही है, तो भारत के आम नागरिकों और मानवाधिकार संगठनों की भी यह जिम्मेदारी बनती है कि वे इस मुद्दे पर आवाज़ उठाएं। सोशल मीडिया पर #SaveNimishaPriya जैसे अभियान चल रहे हैं, लेकिन इस मुहिम को और अधिक समर्थन की जरूरत है।