ताजा खबर
साउथ गोवा में पर्यटक का ऑनलाइन कैब सफर बना बुरा अनुभव, तीन ड्राइवरों पर FIR दर्ज   ||    एयर इंडिया फ्लाइट 171 हादसा: सेफ्टी मैटर्स फाउंडेशन ने सुप्रीम कोर्ट में मांगी स्वतंत्र जांच   ||    दीपिका पादुकोण का ‘कल्कि 2898 एडी’ सीक्वल से बाहर होने पर नाग आश्विन ने लिखा एक क्रिप्टिक पोस्ट   ||    ‘लॉर्ड कर्ज़न की हवेली’: रहस्य, ह्यूमर और देसी ट्विस्ट से भरपूर डिनर पार्टी को मिली रिलीज़ डेट!   ||    कांतारा चैप्टर 1 का ट्रेलर इस दिन होगा रिलीज़   ||    19 सितंबर का इतिहास: भारत और विश्व में घटित प्रमुख घटनाएं   ||    Fact Check: राहुल गांधी के खिलाफ मल्लिकार्जुन खरगे ने दिया बयान? यहां जानें वायरल Video का सच   ||    Aaj Ka Rashifal: मेष से लेकर मीन राशिवालों के लिए कैसा रहेगा आज का दिन? पढ़ें 19 सितंबर 2025 का राशि...   ||    India vs Oman: फिर होगा 18 साल पहले जैसा चमत्कार? अभिषेक शर्मा के पास गुरु युवराज सिंह को ‘दक्षिणा’ ...   ||    बेस्ट थ्रो के बाद भी मेडल से चूके सचिन यादव, अगर ऐसा होता तो पक्का था पदक, पढ़ें इनसाइड स्टोरी   ||   

टैरिफ रुका तो भारत-पाकिस्तान सीजफायर पर पड़ेगा असर? ट्रंप की टीम का दावा

Photo Source :

Posted On:Thursday, May 29, 2025

हाल ही में अमेरिका की एक अदालत ने ट्रंप सरकार द्वारा प्रस्तावित ‘लिबरेशन डे टैरिफ’ पर रोक लगा दी है। यह फैसला न केवल अमेरिका की आंतरिक आर्थिक नीतियों के लिहाज से महत्वपूर्ण है, बल्कि इसके अंतरराष्ट्रीय असर को लेकर भी चिंता जताई जा रही है। ट्रंप प्रशासन ने इस रोक के बाद बड़ा दावा करते हुए कहा है कि अगर यह फैसला लागू नहीं हुआ, तो इसका असर भारत और पाकिस्तान के बीच सीजफायर (युद्धविराम) पर भी पड़ सकता है।

यह बयान न केवल चौंकाने वाला है, बल्कि यह भी दिखाता है कि एक अमेरिकी नीति किस तरह दक्षिण एशिया जैसे संवेदनशील क्षेत्र की शांति को प्रभावित कर सकती है। आइए इस पूरे मुद्दे को विस्तार से समझते हैं।


क्या है ‘लिबरेशन डे टैरिफ’?

‘लिबरेशन डे टैरिफ’ दरअसल एक विशेष आयात शुल्क है जिसे ट्रंप सरकार ने कुछ रणनीतिक देशों के व्यापारिक माल पर लगाने की योजना बनाई थी। इस टैरिफ का उद्देश्य अमेरिकी बाजार को विदेशी कंपनियों की सस्ते उत्पादों से बचाना और घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देना था। इस नीति के तहत एशियाई देशों, खासकर भारत और पाकिस्तान जैसे देशों से आयात होने वाले कुछ विशेष सामानों पर भारी शुल्क लगाने का प्रस्ताव था।

ट्रंप प्रशासन का तर्क था कि इससे अमेरिका की व्यापार घाटा कम होगा और घरेलू उद्योगों को मजबूती मिलेगी। हालांकि, इस टैरिफ के विरोध में कई अमेरिकी उद्योगपतियों और अंतरराष्ट्रीय व्यापारिक साझेदारों ने विरोध दर्ज कराया था, जिसके बाद मामला कोर्ट तक पहुंचा।


कोर्ट ने क्यों लगाई रोक?

अमेरिकी कोर्ट ने इस टैरिफ पर रोक लगाते हुए कहा कि यह न केवल व्यापार की आज़ादी के खिलाफ है बल्कि इससे वैश्विक कूटनीतिक संबंधों पर भी प्रतिकूल असर पड़ सकता है। कोर्ट ने अपने फैसले में स्पष्ट किया कि ऐसी टैरिफ नीतियाँ अमेरिका के सहयोगी देशों के साथ व्यापारिक विश्वास को कमजोर कर सकती हैं।

कोर्ट ने यह भी पाया कि ‘लिबरेशन डे टैरिफ’ जैसे शुल्क पहले से ही महंगाई और वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला पर दबाव डाल रहे हैं। साथ ही, इस नीति से विकासशील देशों के साथ संबंधों में तनाव आ सकता है, जिससे अमेरिका की अंतरराष्ट्रीय छवि भी प्रभावित हो सकती है।


ट्रंप प्रशासन का बड़ा दावा: खतरे में सीजफायर?

कोर्ट के इस फैसले के तुरंत बाद ट्रंप सरकार की ओर से बयान आया कि अगर यह टैरिफ लागू नहीं किया गया, तो भारत और पाकिस्तान के बीच वर्तमान सीजफायर समझौता खतरे में पड़ सकता है। यह बयान हैरान करने वाला है क्योंकि आमतौर पर अमेरिका इस क्षेत्र में शांति की पैरवी करता रहा है।

ट्रंप प्रशासन का तर्क है कि ‘लिबरेशन डे टैरिफ’ के जरिए वह भारत और पाकिस्तान के साथ सामरिक और व्यापारिक संतुलन बनाना चाहता था। उनका दावा है कि यह टैरिफ पाकिस्तान को भारत के साथ आर्थिक समझौतों के लिए प्रेरित कर सकता था, जिससे सीमा पर तनाव कम होता। लेकिन अब जब टैरिफ पर रोक लग चुकी है, तो इस कूटनीतिक दबाव की रणनीति विफल हो सकती है।


भारत-पाकिस्तान सीजफायर: पृष्ठभूमि

भारत और पाकिस्तान के बीच फरवरी 2021 से सीजफायर समझौता लागू है, जिसमें दोनों देशों ने एलओसी (लाइन ऑफ कंट्रोल) पर गोलीबारी बंद करने पर सहमति जताई थी। इस समझौते को कई देशों, विशेषकर अमेरिका, चीन और यूएन का समर्थन मिला था। लेकिन यह सीजफायर अत्यंत संवेदनशील है और किसी भी आंतरिक या बाहरी दबाव से यह प्रभावित हो सकता है।

यदि अमेरिकी नीति के बदलाव या कोर्ट के फैसले के चलते पाकिस्तान की रणनीति में परिवर्तन आता है, तो यह शांति प्रक्रिया खतरे में पड़ सकती है।


अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया और भारत का रुख

इस मुद्दे पर भारत सरकार ने अभी तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी है, लेकिन कूटनीतिक हलकों में इस बयान को लेकर चर्चा तेज हो गई है। भारत की प्राथमिकता हमेशा से क्षेत्रीय शांति और स्थायित्व रही है। ऐसे में अमेरिका के आंतरिक व्यापारिक फैसले को भारत-पाकिस्तान सीजफायर से जोड़ना नई बहस को जन्म दे सकता है।

वहीं, विशेषज्ञों का मानना है कि ट्रंप प्रशासन का यह बयान कहीं न कहीं राजनीतिक दबाव बनाने की रणनीति हो सकती है ताकि अदालतों पर भी अप्रत्यक्ष प्रभाव डाला जा सके और टैरिफ को दोबारा लागू करने का रास्ता साफ हो।


निष्कर्ष

‘लिबरेशन डे टैरिफ’ पर अमेरिकी कोर्ट की रोक और उसके बाद ट्रंप सरकार की चेतावनी ने अंतरराष्ट्रीय राजनीति में हलचल मचा दी है। भारत और पाकिस्तान जैसे संवेदनशील देशों के बीच शांति बनाए रखने की जिम्मेदारी केवल क्षेत्रीय देशों की नहीं बल्कि वैश्विक शक्तियों की भी है। अमेरिका जैसी महाशक्ति को अपने व्यापारिक फैसलों को अंतरराष्ट्रीय शांति से जोड़ने से पहले अत्यंत सोच-समझकर कदम उठाने की जरूरत है।

जहां एक ओर अमेरिका का आंतरिक टैरिफ विवाद है, वहीं दूसरी ओर इससे भारत-पाकिस्तान जैसे देशों की संवेदनशील स्थितियों पर असर डालना एक खतरनाक संकेत हो सकता है। आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि ट्रंप प्रशासन इस रोक के खिलाफ क्या कदम उठाता है और भारत इस बयान पर क्या आधिकारिक प्रतिक्रिया देता है।


अहमदाबाद और देश, दुनियाँ की ताजा ख़बरे हमारे Facebook पर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें,
और Telegram चैनल पर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें



मेरा गाँव मेरा देश

अगर आप एक जागृत नागरिक है और अपने आसपास की घटनाओं या अपने क्षेत्र की समस्याओं को हमारे साथ साझा कर अपने गाँव, शहर और देश को और बेहतर बनाना चाहते हैं तो जुड़िए हमसे अपनी रिपोर्ट के जरिए. ahmedabadvocalsteam@gmail.com

Follow us on

Copyright © 2021  |  All Rights Reserved.

Powered By Newsify Network Pvt. Ltd.