गाजा पट्टी से सोशल मीडिया पर ऐसी दिल दहला देने वाली तस्वीरें सामने आ रही हैं, जिन्हें देखकर दुनिया का ज़मीर हिल गया है। इन तस्वीरों में बच्चों की हालत बेहद गंभीर नजर आ रही है—कई बच्चों का शरीर महज हड्डियों का ढांचा बन चुका है। इन भयावह तस्वीरों ने गाजा में भुखमरी के संकट को दुनिया के सामने बेरहमी से उजागर कर दिया है।
दूसरी ओर, इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने गाजा में किसी भी प्रकार की भुखमरी के हालात को सिरे से खारिज कर दिया है। उन्होंने दावा किया है कि गाजा में हालात उतने खराब नहीं हैं जितना प्रचारित किया जा रहा है।
नेतन्याहू के बयान पर ट्रंप ने कसा तंज
इजराइली पीएम नेतन्याहू के बयान के तुरंत बाद अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इसे खारिज करते हुए कहा कि “गाजा में भुखमरी का संकट है जिसे अब और झुठलाया नहीं जा सकता।” ट्रंप ने साफ तौर पर कहा कि वहां के लोगों की हालत चिंताजनक है और अंतरराष्ट्रीय समुदाय को इसकी अनदेखी नहीं करनी चाहिए।
ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ने भी एक बैठक के दौरान गाजा के हालात पर चिंता जताते हुए कहा कि, “गाजा की तस्वीरें और हालात किसी भी सभ्य समाज को झकझोरने के लिए काफी हैं। इसे नकारा नहीं जा सकता। ब्रिटेन हरसंभव मदद के लिए तैयार है।”
UNRWA ने कहा- ‘गाजा अब कब्रिस्तान बन चुका है’
संयुक्त राष्ट्र राहत और कार्य एजेंसी (UNRWA) के प्रमुख ने गाजा की स्थिति को लेकर एक कड़ी टिप्पणी करते हुए कहा कि, "गाजा में लोगों के पास केवल दो रास्ते बचे हैं—भूख से मरना या गोली खाना।" उन्होंने गाजा को एक "कब्रिस्तान" करार दिया है, जहाँ बच्चों, महिलाओं और बुजुर्गों को मानवीय मदद तक नहीं मिल रही।
कौन रोक रहा है गाज़ा में खाने का पहुंचना?
इस पूरे संकट पर पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि गाज़ा के लोगों तक राहत सामग्री भेजी जा रही है, लेकिन उसे जानबूझकर रोक दिया जा रहा है। उन्होंने संकेत दिया कि इसमें किसी हद तक हमास की भूमिका हो सकती है, या फिर इसे इजराइली सुरक्षाबलों द्वारा भी रोका जा रहा है।
पिछले कुछ दिनों में यह रिपोर्ट भी सामने आई है कि गाजा बॉर्डर पर इजराइली डिफेंस फोर्स (IDF) के सैनिक तैनात हैं जो मानवीय सहायता को अंदर जाने नहीं दे रहे। इससे हालात और बदतर हो गए हैं।
27 जुलाई को गाजा में हवाई मार्ग से भेजी गई मदद
गंभीर मानवीय संकट को देखते हुए 27 जुलाई को OCHA (UN Office for the Coordination of Humanitarian Affairs) के तहत कुछ राहत सामग्री गाजा में हवाई मार्ग से भेजी गई थी। लेकिन यह मदद बेहद सीमित थी और कई क्षेत्रों तक नहीं पहुंच पाई। OCHA ने पिछले सप्ताह चेतावनी दी थी कि गाजा के हालात पहले से भी ज़्यादा बिगड़ चुके हैं।
तस्वीरें बोल रही हैं – मदद की दरकार है
गाजा से वायरल हो रही तस्वीरों में दर्जनों ऐसे बच्चे दिख रहे हैं जो कुपोषण की चरम सीमा पर पहुंच चुके हैं। उनके शरीर की त्वचा सिकुड़ गई है, पेट अंदर धंसे हुए हैं और आंखों में दर्द, भूख और निराशा साफ दिखाई देती है। कई तस्वीरों में माताएं भूख से तड़पते अपने बच्चों को चुप कराने की नाकाम कोशिश करती दिखाई दे रही हैं।
इन तस्वीरों को देखकर दुनिया भर के नागरिक, संगठनों और नेताओं में रोष और संवेदना दोनों दिख रहे हैं। ट्विटर, इंस्टाग्राम और रेडिट जैसे प्लेटफॉर्म पर #SaveGazaChildren और #EndGazaFamine जैसे हैशटैग ट्रेंड कर रहे हैं।
निष्कर्ष: अब इनकार नहीं, समाधान चाहिए
गाजा में जो कुछ हो रहा है, वह अब किसी एक देश या सरकार के दावे और इनकार का विषय नहीं रहा। यह एक मानवीय आपदा है, जिसे तत्काल वैश्विक ध्यान और कार्यवाही की आवश्यकता है। नेतन्याहू का इनकार शायद राजनीतिक हो, लेकिन तस्वीरें और बच्चों की हालत हकीकत को उजागर कर रही हैं।
अब वक्त आ गया है जब अंतरराष्ट्रीय समुदाय को ‘कूटनीति’ से आगे बढ़कर मानवता के स्तर पर मदद पहुंचाने की ठोस रणनीति बनानी होगी। वर्ना आने वाले दिनों में गाजा का नाम सिर्फ संघर्ष के नहीं, बल्कि मानवता की विफलता के उदाहरण के रूप में लिया जाएगा।