अहमदाबाद न्यूज डेस्क: अहमदाबाद में आयुष्मान कार्ड बनाने के नाम पर धोखाधड़ी का मामला सामने आया है, जिसमें आरोपियों ने एलिजिबल न होते हुए भी सिर्फ 15 मिनट में मरीजों को कार्ड बना दिया। पुलिस ने इस मामले में 6 आरोपियों को गिरफ्तार किया है और अब तक 3000 से ज्यादा फर्जी कार्डों की डिटेल्स एकत्र की हैं। क्राइम ब्रांच ने मामले की गंभीरता को देखते हुए जांच शुरू कर दी है और जिनके नाम इस धोखाधड़ी में शामिल हैं, उन्हें जल्द ही गिरफ्तार करने की योजना है।
ख्याति अस्पताल द्वारा इस घोटाले में सीधे तौर पर शामिल होने की बात सामने आई है, जहां पैसों के लालच में एक ही दिन में एक गांव के 19 लोगों की एंजियोग्राफी और 7 लोगों की एंजियोप्लास्टी की गई थी। इस प्रक्रिया में दो मरीजों की मौत हो गई थी, जिसकी जांच की जा रही है। क्राइम ब्रांच ने अब तक इस मामले में 8 आरोपियों को गिरफ्तार किया है, जिनमें अस्पताल के सीईओ चिराग राजपूत और डायरेक्टर कार्तिक पटेल भी शामिल हैं।
पुलिस की जांच में यह सामने आया कि अस्पताल में काम करने वाले कर्मचारी मेहुल ने मरीजों के दस्तावेजों में कमी होने के बावजूद उनके आयुष्मान कार्ड बनाए। जब दस्तावेज़ सही नहीं होते थे, तो उन कार्डों को अस्पताल के अधिकारियों को भेजकर बिना एलिजिबिलिटी के ही कार्ड बनवाए जाते थे। यह धोखाधड़ी सिर्फ अहमदाबाद में ही नहीं, बल्कि अन्य राज्यों में भी फैली हो सकती है, क्योंकि जांच में बिहार के राशिद नामक व्यक्ति का भी नाम सामने आया है।
अहमदाबाद क्राइम ब्रांच के डीसीपी अजीत राजियन ने बताया कि इस पूरे घोटाले में आरोपी निमेष डोडिया की भूमिका महत्वपूर्ण रही है, जिसने सिर्फ 1500 रुपये में 15 मिनट में आयुष्मान कार्ड बनवाए। आरोपी एक ऑनलाइन पोर्टल के जरिए यह कार्ड बना रहा था और इसके लिए व्हाट्सएप और टेलीग्राम जैसे प्लेटफॉर्म्स का इस्तेमाल कर रहा था। आरोपियों ने राज्य के बाहर के लोगों को भी इस धोखाधड़ी का शिकार बनाया।
पुलिस ने यह भी बताया कि जिन 3000 कार्डों की डिटेल्स एकत्र की गई हैं, उनमें कुछ कार्ड एलिजिबल लोगों के भी हो सकते हैं, लेकिन अधिकतर कार्ड फर्जी थे। जांच के दौरान यह भी पता चला है कि यह कार्ड सिर्फ गुजरात में ही नहीं, बल्कि अन्य राज्यों में भी बनवाए गए थे। अब क्राइम ब्रांच पूरे मामले की जांच कर रही है और इन फर्जी कार्डों के जरिए किए गए धोखाधड़ी के हर पहलू को उजागर करने का प्रयास कर रही है।