अहमदाबाद न्यूज डेस्क: गुजरात के अहमदाबाद में एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जहां 10वीं कक्षा में पढ़ने वाले दो किशोरों के यूरिन टेस्ट में कोकीन का अंश पाया गया है। यह खबर न केवल चौंकाने वाली है, बल्कि यह हमें किशोरों में बढ़ती नशे की लत के बारे में सोचने पर मजबूर करती है।
यह सवाल उठता है कि आखिर इन किशोरों को यह नशा कहां से मिला और कौन उन्हें यह नशा दे रहा था। यह एक गंभीर मुद्दा है जिस पर तत्काल ध्यान देने की जरूरत है। नशे की लत के कारण किशोरों के भविष्य और स्वास्थ्य पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ सकता है।
इस मामले में जांच होनी चाहिए और उन लोगों के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए जो किशोरों को नशा दे रहे हैं। साथ ही, समाज और परिवार को भी किशोरों को नशे से दूर रखने के लिए काम करना चाहिए।
दो किशोर छात्रों के अजीब व्यवहार ने उनके परिवार को चिंतित कर दिया। वे ट्यूशन से घर आते ही बेसुध होकर सो जाते थे और उनका चिड़चिड़ापन बढ़ गया था। परिवार की शंका जब डॉक्टर के पास पहुंची, तो यूरिन टेस्ट में चौंकाने वाला सच सामने आया - दोनों किशोर कोकीन की लत के शिकार हो गए थे।
इस खुलासे ने परिवार और समाज को झकझोर दिया है। अब सवाल यह है कि कैसे और कहां से इन किशोरों तक यह नशा पहुंचा और कौन इसके पीछे है। यह मामला नशे की बढ़ती समस्या पर तत्काल ध्यान देने की मांग करता है।
मनोवैज्ञानिक के अनुसार, परिवार ने इलाज के लिए संपर्क किया, जिसके बाद उन्होंने बच्चों की पूर्व मेडिकल हिस्ट्री का विश्लेषण किया। इसके आधार पर, उन्होंने तुरंत इलाज शुरू किया, जिसमें एंटी डिप्रेशन दवाएं और मनोवैज्ञानिक काउंसलिंग शामिल थी।
समय पर इलाज मिलने से बच्चे महज 3 हफ्ते में ही स्वस्थ हो गए। यह मामला दर्शाता है कि नशे की लत से जूझ रहे किशोरों के लिए समय पर और सही इलाज कितना महत्वपूर्ण है। मनोवैज्ञानिक की सहायता से उन्हें अपनी सेहत और जीवन को फिर से संवारने में मदद मिली।
भारत में नशे की समस्या गंभीर है। नेशनल सर्वे ऑन एक्सटेंट एंड पैटर्न ऑफ सब्सटेंट इन इंडिया (2019) की रिपोर्ट के अनुसार, देश में 16 करोड़ लोग (14.6%) एल्कोहल का सेवन करते हैं, जिनमें से 5.2% को इसकी लत है। इसके अलावा, 3.1 करोड़ लोग चरस, भांग और गांजे की लत से जूझ रहे हैं, जबकि 1.18 करोड़ लोग कफ सीरप और नींद की गोली के नशे के शिकार हैं। इनमें से कई लोगों को इलाज की जरूरत है।