अहमदाबाद न्यूज डेस्क: कांग्रेस पार्टी की एक अहम बैठक गुजरात के अहमदाबाद में होने जा रही है, जिसमें AICC के सदस्य हिस्सा लेंगे। यह बैठक ऐसे वक्त पर हो रही है जब 2024 के लोकसभा चुनाव में आंशिक सफलता के बाद पार्टी को कई राज्यों में करारी हार झेलनी पड़ी है। पार्टी के भीतर माना जा रहा है कि इन लगातार असफलताओं की वजह से कार्यकर्ताओं का मनोबल टूट रहा है, इसलिए इस बैठक में संगठन को दोबारा मज़बूत करने और पार्टी को नई दिशा देने पर ज़ोर रहेगा।
बैठक का फोकस जिला कांग्रेस कमेटियों (DCC) को फिर से सक्रिय करने पर रहेगा ताकि आगामी विधानसभा और लोकसभा चुनावों के लिए संगठन तैयार हो सके। बीते साल उदयपुर चिंतन शिविर में कई बड़े ऐलान हुए थे लेकिन ज़्यादातर लागू नहीं हो सके। ऐसे में इस बार सवाल उठ रहे हैं कि क्या यह बैठक भी महज नारेबाज़ी और भाषणों तक सीमित रहेगी या वाकई कुछ ठोस कदम उठाए जाएंगे?
बैठक से एक दिन पहले कांग्रेस वर्किंग कमेटी की मीटिंग होगी, जहां राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक और अंतरराष्ट्रीय मामलों पर प्रस्ताव तैयार किया जाएगा। इसमें ट्रंप के टैरिफ नियमों के भारत पर असर, किसानों की स्थिति, बेरोजगारी जैसे मसले शामिल होंगे। वहीं, बीजेपी और आरएसएस की नीतियों की आलोचना करते हुए चुनावी प्रक्रिया, वोटर लिस्ट और EVM को लेकर भी सवाल खड़े किए जाएंगे। पार्टी कार्यकर्ताओं से कहा जाएगा कि वे ज़मीनी स्तर पर जनता से जुड़ें और सरकार की गलत नीतियों का विरोध करें।
बैठक की अध्यक्षता मल्लिकार्जुन खरगे करेंगे, लेकिन फोकस राहुल गांधी और उनके मुद्दों पर रहेगा—जैसे OBC, SC-ST आरक्षण, जातिगत जनगणना और युवाओं के अधिकार। प्रियंका गांधी की भूमिका को लेकर भी चर्चा होगी, खासकर हाल ही में संसद में वक्फ बिल पर उनकी अनुपस्थिति को लेकर। वहीं, INDIA गठबंधन के भविष्य पर भी संकेत मिल सकते हैं कि कांग्रेस उसे बचाने की कोशिश करेगी या अब अपने संगठन की मज़बूती पर ध्यान देगी। कुल मिलाकर, यह बैठक कांग्रेस के लिए नई उम्मीद का संकेत है, लेकिन असली चुनौती यह होगी कि क्या यह रणनीति ज़मीन पर भी दिखाई देगी।