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मुहर्रम में ताजिये को बनाने में कितना आता है खर्च? क्या हैं लंबाई को लेकर नए निर्देश

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Posted On:Friday, July 4, 2025

इस्लामिक कैलेंडर के पहले महीने मुहर्रम को इस्लाम धर्म में बेहद पवित्र और महत्वपूर्ण माना जाता है। मुहर्रम का दसवां दिन यानि 'आशूरा' खास महत्व रखता है, जो 2025 में 6 जुलाई को मनाया जाएगा। यह दिन हजरत इमाम हुसैन और उनके 72 अनुयायियों की शहादत की याद में मनाया जाता है, जिन्होंने कर्बला की जंग में अन्याय के खिलाफ लड़ते हुए बलिदान दिया था। इस दिन देशभर में शोक मनाया जाता है और ताजियों के जुलूस निकाले जाते हैं।

क्या होता है ताजिया?

ताजिया एक प्रतीकात्मक मकबरा होता है, जो कर्बला में शहीद हुए हुसैन और उनके साथियों को श्रद्धांजलि देने के लिए बनाया जाता है। इसे आमतौर पर लकड़ी, थर्मोकोल, कागज, रंग-बिरंगे कपड़ों और सजावटी सामान से तैयार किया जाता है। कई स्थानों पर इसमें सोना-चांदी का भी उपयोग किया जाता है। मुहर्रम के दिन इसे जुलूस में शामिल किया जाता है और अंत में उसे दफन या पानी में विसर्जित कर दिया जाता है।


ताजियों की ऊंचाई बनी हादसों की वजह

हर साल निकलने वाले मुहर्रम जुलूसों में ताजियों की बढ़ती ऊंचाई चिंता का विषय बनी हुई है। कुछ ताजिये 40 से 50 फीट तक ऊंचे बनाए जाते हैं, जो जुलूस के दौरान बिजली के तारों में फंस जाते हैं, जिससे कई बार भयानक हादसे हो जाते हैं। पिछले कुछ वर्षों में देश के कई हिस्सों में ऐसे हादसों में जिंदगियां जा चुकी हैं

इन दुर्घटनाओं को रोकने और सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार ने इस बार विशेष निर्देश जारी किए हैं।


यूपी में ताजियों की ऊंचाई को लेकर क्या है नियम?

उत्तर प्रदेश प्रशासन ने आदेश दिया है कि ताजियों की अधिकतम ऊंचाई 12 फीट से अधिक नहीं होनी चाहिए। कुछ जिलों में स्थानीय परिस्थितियों को देखते हुए यह सीमा 13 फीट या 15 फीट तक तय की गई है। ये निर्णय स्थानीय प्रशासन और पुलिस के सहयोग से लिया गया है ताकि मुहर्रम का पर्व शांति और सुरक्षा के साथ मनाया जा सके।

इसके अलावा जुलूस के दौरान डीजे या लाउडस्पीकर की आवाज की सीमा भी तय की गई है। अधिक शोर और ध्वनि प्रदूषण पर प्रतिबंध लगाया गया है। इससे पहले ताजियों के साथ बजने वाले डीजे सेट्स की तेज आवाज से भी कई बार अफरा-तफरी और तनाव की स्थिति बन चुकी थी।


ताजिया बनाने में कितना खर्च आता है?

ताजिया बनाना केवल धार्मिक भावना ही नहीं, बल्कि कला और भक्ति का प्रदर्शन भी है। कुछ लोग इसे बेहद सादगी से बनाते हैं जिसमें कुछ हजार रुपये लगते हैं, वहीं दूसरी ओर कुछ ताजिये ऐसे होते हैं जिनकी कीमत लाखों से करोड़ों रुपये तक पहुंचती है।

पिछले साल जयपुर के राजघराने द्वारा बनाया गया ताजिया पूरे देश में चर्चा का विषय बना था। इस ताजिये में करीब 10 किलो सोना और 60 किलो चांदी का उपयोग किया गया था। इस वर्ष भी कई ऐसे ताजिये तैयार किए जा रहे हैं जो अपनी भव्यता और डिजाइन के लिए खास आकर्षण का केंद्र होंगे।


प्रशासन की तैयारियां और अपील

पुलिस प्रशासन और स्थानीय निकायों ने मुहर्रम के मद्देनजर सुरक्षा को देखते हुए ड्रोन से निगरानी, सीसीटीवी कैमरों की तैनाती, और फायर ब्रिगेड की सतर्कता जैसे कदम उठाए हैं। इसके अलावा बिजली विभाग को भी हाई वोल्टेज तारों की मरम्मत और वैकल्पिक व्यवस्थाएं सुनिश्चित करने को कहा गया है।

प्रशासन ने मुस्लिम समुदाय और ताजिया समितियों से नियमों का पालन करने और सद्भाव बनाए रखने की अपील की है।


निष्कर्ष

मुहर्रम का पर्व बलिदान, आस्था और शांति का प्रतीक है। इस अवसर पर ताजिया जुलूसों में भव्यता के साथ-साथ सुरक्षा का भी विशेष ध्यान रखा जाना आवश्यक है। सरकार द्वारा तय की गई ऊंचाई सीमा और अन्य दिशा-निर्देश इसी सोच का हिस्सा हैं।

इस बार मुहर्रम 2025 को एक सुरक्षित, सौहार्दपूर्ण और श्रद्धा पूर्ण वातावरण में मनाने का संकल्प समाज के हर वर्ग को लेना चाहिए। यही कर्बला की कुर्बानी को सच्ची श्रद्धांजलि होगी।


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