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दिल्ली में किरायदारों के लिए बड़ी खुशखबरी, बिजली खपत को लेकर हाईकोर्ट का बड़ा फैसला

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Posted On:Monday, August 18, 2025

दिल्ली में रहने वाले लाखों किरायेदारों के लिए दिल्ली हाईकोर्ट का हालिया फैसला किसी राहत से कम नहीं है। कोर्ट ने साफ कर दिया है कि बिजली मीटर का लोड कम कराने के लिए किरायेदार को मकान मालिक की अनापत्ति प्रमाण पत्र (NOC) लेने की कोई आवश्यकता नहीं है। किरायेदार अब खुद बिजली वितरण कंपनी में आवेदन देकर मीटर का लोड कम करा सकते हैं।

यह फैसला न केवल रिहायशी किरायेदारों, बल्कि दुकानदारों, व्यापारियों और औद्योगिक क्षेत्र में काम करने वालों के लिए भी लाभकारी साबित होगा।


🔌 किरायेदार को मिलेगा अधिकार, मकान मालिक की अनुमति नहीं जरूरी

हाईकोर्ट में जस्टिस मिनी पुष्करणा की एकल पीठ ने सुनवाई के दौरान कहा:

“बिजली का वास्तविक उपभोक्ता वह व्यक्ति है जो उसे उपयोग कर रहा है। अगर किरायेदार बिजली का उपयोग कर रहा है, तो मीटर से संबंधित मामूली बदलाव जैसे लोड में कटौती करने के लिए उसे मकान मालिक की सहमति लेने की जरूरत नहीं होनी चाहिए।”

इस फैसले के अनुसार, बिजली की कम खपत के बावजूद किरायेदारों को ज्यादा बिल चुकाना पड़ता है, क्योंकि मीटर का लोड अधिक बना रहता है। अब वे अपनी जरूरत के अनुसार लोड घटा सकेंगे, जिससे उनका मासिक बिजली बिल कम होगा।


🏙 दिल्ली के व्यवसायिक और औद्योगिक क्षेत्रों को मिलेगा बड़ा लाभ

दिल्ली जैसे महानगर में लाखों लोग किराये पर मकान, दुकान या औद्योगिक इकाई चलाते हैं।

  • चांदनी चौक, कनॉट प्लेस, लाजपत नगर, सरोजिनी नगर जैसे बड़े बाजार

  • ओखला, बवाना, नारायणा, वज़ीरपुर, कंझावला जैसे औद्योगिक क्षेत्र
    में अधिकतर दुकानें और यूनिट्स किराये पर ही चलती हैं।

बिजली का लोड अधिक होने से इन व्यापारियों और फैक्ट्री मालिकों को अनावश्यक खर्च उठाना पड़ता था। अब उन्हें भी फायदा होगा और लोड कम कराकर वे लागत घटा पाएंगे।


📅 BSES को 4 सप्ताह में कार्रवाई के आदेश

हाईकोर्ट ने बिजली वितरण कंपनी बीएसईएस (BSES) को आदेश दिया है कि

“किरायेदार द्वारा किए गए अनुरोध के अनुसार, बिजली मीटर का लोड 16 केवीए से घटाकर उसके वास्तविक उपयोग के अनुसार किया जाए।”

इसके लिए कोर्ट ने कंपनी को चार सप्ताह का समय दिया है। यानी बिजली कंपनियों को अब किरायेदार के आवेदन पर कार्रवाई करनी होगी, भले ही मकान मालिक की अनुमति न हो।


⚖️ कैसे शुरू हुआ मामला?

इस पूरे मामले की जड़ है दिल्ली के अंसल टॉवर का एक फ्लैट।

  • यहां एक किरायेदार पिछले कई वर्षों से रह रहा था

  • फ्लैट की मालकिन की मृत्यु हो जाने के बाद प्रॉपर्टी ट्रांसफर विवाद के कारण फ्लैट कानूनी रूप से किसी के नाम ट्रांसफर नहीं हो पाया।

  • किरायेदार ने बिजली की कम खपत के चलते मीटर का लोड घटाने के लिए बीएसईएस में आवेदन किया।

  • लेकिन कंपनी ने मकान मालिक की NOC न होने की वजह से इनकार कर दिया।

इस पर किरायेदार ने हाईकोर्ट का रुख किया और कोर्ट ने मामले को गंभीरता से लेते हुए किरायेदार के पक्ष में फैसला सुनाया।


🧾 मकान मालिक को नहीं होगा कोई नुकसान

कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि इस प्रक्रिया से मकान मालिक के अधिकारों पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा

"लोड कम होने से केवल उपभोग के अनुसार ही बिल आएगा। मकान मालिक को इससे कोई आर्थिक नुकसान नहीं होगा, बल्कि इससे बिजली व्यवस्था अधिक पारदर्शी और उपभोक्ता हितैषी बनेगी।"


📌 निष्कर्ष: उपभोक्ताओं के अधिकारों को मिला न्यायिक संरक्षण

दिल्ली हाईकोर्ट का यह फैसला न केवल किरायेदारों के अधिकारों की रक्षा करता है, बल्कि यह यह भी दर्शाता है कि बिजली जैसे मूलभूत संसाधनों तक पहुंच में पारदर्शिता और सुविधा सुनिश्चित करना कितना आवश्यक है।

यह निर्णय आने वाले समय में अन्य राज्यों के लिए भी नज़ीर बन सकता है, और देशभर के किरायेदारों को इससे प्रेरणा मिल सकती है।


📣 क्या आप किरायेदार हैं और बिजली का बिल परेशान करता है? अब बिना मकान मालिक की सहमति लिए आप लोड कम कराने के लिए आवेदन कर सकते हैं – और कोर्ट का आदेश आपके साथ है।


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