ताजा खबर
बांग्लादेशी घुसपैठियों और तस्करों पर दो राज्यों में बड़ी कार्रवाई   ||    2036 ओलंपिक से पहले अहमदाबाद बना देश का सबसे सुरक्षित शहर   ||    मुझे शादी करोगी के 21 साल पुरे हुए, अनीज़ बज़्मी ने लिखा एक शानदार पोस्ट!   ||    ऋषभ शेट्टी की फिल्म का फर्स्ट लुक रिलीज़ हुआ   ||    डी54 की शूटिंग कर रहे हैं धनुष   ||    नई रिलीज़ डेट के साथ परम सुंदरी का फर्स्ट सिंगल हुआ रिलीज़!   ||    संगीत, यादें और एक खास सरप्राइज़ के साथ सोनू निगम ने मनाया अपना 52वां जन्मदिन   ||    शेखर कपूर ने किया AI-निर्मित साइंस-फिक्शन सीरीज़ वॉरलार्ड का भव्य ऐलान!   ||    Terrorist Attack: अफ्रीका के बुर्किना फासो में आतंकी हमला, सैन्य अड्डे पर मारे गए 50 सैनिक   ||    भारत पर 25% तक टैक्स लगा सकता है अमेरिका, ट्रंप ने दिया ये संकेत, क्या बढ़ जाएगा एक्सपोर्ट?   ||   

Iran पर हमले के बाद तेल की कीमतें उच्चतम स्तर पर, एशियाई बाजारों में गिरावट तय

Photo Source :

Posted On:Monday, June 23, 2025

सप्ताह की शुरुआत वैश्विक बाजारों के लिए निराशाजनक रही। सोमवार को एशियाई शेयर बाजारों में गिरावट दर्ज की गई, वहीं तेल की कीमतें जनवरी के बाद अपने पांच महीने के उच्चतम स्तर पर पहुंच गईं। इसका मुख्य कारण अमेरिका द्वारा ईरान के परमाणु ठिकानों पर किए गए हमले और उसमें इजरायल की भागीदारी से उत्पन्न हुआ तनाव है। इस सैन्य कार्रवाई ने मध्य पूर्व संकट को और भड़का दिया है और वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला को लेकर चिंताएं बढ़ा दी हैं।

तेल की कीमतों में जबरदस्त उछाल

तेल की कीमतों में 2.7% से अधिक की वृद्धि दर्ज की गई, जिससे ब्रेंट क्रूड 79.12 डॉलर प्रति बैरल और अमेरिकी क्रूड (WTI) 75.98 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गया। यह तेजी जनवरी 2025 के बाद से अब तक की सबसे बड़ी वृद्धि मानी जा रही है। ऊर्जा बाजारों में यह उछाल इस संकेत से आया कि ईरान की ओर से संभावित जवाबी कार्रवाई वैश्विक तेल आपूर्ति को गंभीर रूप से प्रभावित कर सकती है।

ग्लोबल निवेशकों में अस्थिरता और चिंता

जैसे ही खबरें सामने आईं कि अमेरिका ने इजरायल के साथ मिलकर ईरान के तीन परमाणु ठिकानों को निशाना बनाया, निवेशकों की भावनाओं में गिरावट दर्ज की गई। एशिया-पैसिफिक क्षेत्र के MSCI इंडेक्स में 0.5% की गिरावट आई, जबकि जापान का निक्केई इंडेक्स 0.9% गिरा। इस गिरावट से संकेत मिलता है कि निवेशक अस्थिर वैश्विक परिदृश्य में जोखिम उठाने से बच रहे हैं।

यही नहीं, यूरोपीय फ्यूचर्स मार्केट में भी गिरावट देखने को मिली। EuroStoxx 50 फ्यूचर्स में 0.7%, FTSE फ्यूचर्स में 0.5% और DAX फ्यूचर्स में 0.7% की गिरावट रही। अमेरिकी शेयर बाजारों में भी दबाव देखा गया, जहां S&P 500 फ्यूचर्स में 0.5% और Nasdaq फ्यूचर्स में 0.6% की गिरावट दर्ज की गई।

सोने की कीमत में मामूली गिरावट

अस्थिर भू-राजनीतिक माहौल के बीच सोने को आमतौर पर एक सुरक्षित निवेश विकल्प माना जाता है, लेकिन सोमवार को इसमें भी हल्की गिरावट देखी गई। सोना 0.1% गिरकर 3,363 डॉलर प्रति औंस पर आ गया। हालांकि निवेशक अभी भी सोने को लेकर सतर्क हैं और यह गिरावट अधिक स्थायी नहीं मानी जा रही है।

क्यों है तेल की कीमत में उछाल इतना महत्वपूर्ण?

तेल की कीमतों में यह उछाल केवल ऊर्जा क्षेत्र तक सीमित नहीं है। इससे वैश्विक मुद्रास्फीति में वृद्धि का खतरा बढ़ जाता है। जैसे-जैसे तेल महंगा होता है, परिवहन और उत्पादन लागत में वृद्धि होती है, जिसका सीधा असर रोजमर्रा की वस्तुओं की कीमत पर पड़ता है।

विशेष रूप से यूरोप और जापान जैसे देश, जो आयातित तेल और LNG (Liquefied Natural Gas) पर बहुत अधिक निर्भर हैं, उनके लिए यह स्थिति चिंताजनक है। दूसरी ओर, संयुक्त राज्य अमेरिका इस समय एक शुद्ध निर्यातक की स्थिति में है, जिससे उसे कुछ राहत है।

ईरान की प्रतिक्रिया पर टिकी है वैश्विक नजर

इस समय पूरी दुनिया की नजर ईरान की प्रतिक्रिया पर टिकी हुई है। यदि ईरान आगे और आक्रामक रुख अपनाता है — जैसे कि होर्मुज जलडमरूमध्य को अस्थायी रूप से बंद करने की धमकी को अंजाम देना — तो स्थिति और गंभीर हो सकती है। यह जलमार्ग वैश्विक तेल व्यापार का एक प्रमुख रास्ता है, जहां से प्रतिदिन लगभग 1.7 करोड़ बैरल तेल गुजरता है।

हालांकि, कुछ विशेषज्ञ यह भी मान रहे हैं कि अमेरिका की इस सैन्य कार्रवाई ने ईरान की परमाणु महत्वाकांक्षाओं पर प्रभावी रूप से अंकुश लगाया है। इससे संभावना है कि ईरान पीछे हट सकता है या वहाँ की सरकार में परिवर्तन हो सकता है, जिससे वैश्विक तनाव कुछ कम हो।

भारत और अन्य देशों पर प्रभाव

भारत, जो दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा तेल आयातक देश है, इस स्थिति से सबसे अधिक प्रभावित होने वाले देशों में शामिल है। भारत अपनी कुल तेल जरूरतों का करीब 90% आयात करता है और तेल की कीमतों में तेजी का सीधा असर महंगाई और चालू खाता घाटे पर पड़ता है।

हालांकि भारत सरकार ने पहले से ही तेल आपूर्ति के विविध स्रोतों को विकसित किया है, जैसे कि रूस, ब्राजील, अमेरिका और अफ्रीकी देश, फिर भी अगर संकट लंबा खिंचता है, तो असर पड़ना तय है।


निष्कर्ष: बाजारों के लिए कठिन सप्ताह की शुरुआत

मध्य पूर्व में सैन्य तनाव और ईरान-अमेरिका-इजरायल के त्रिकोणीय विवाद ने वैश्विक वित्तीय बाजारों को हिला कर रख दिया है। सोमवार को दर्ज की गई गिरावट और तेल कीमतों में आई तेज़ी इस बात की चेतावनी है कि यदि जल्द हालात सामान्य नहीं हुए, तो वैश्विक आर्थिक अस्थिरता और महंगाई की नई लहर उठ सकती है। आने वाले दिनों में निवेशकों की नजरें केवल बाजार पर नहीं, बल्कि ईरान की अगली रणनीति और वैश्विक नेताओं की कूटनीतिक प्रतिक्रियाओं पर भी टिकी रहेंगी।


अहमदाबाद और देश, दुनियाँ की ताजा ख़बरे हमारे Facebook पर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें,
और Telegram चैनल पर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें



मेरा गाँव मेरा देश

अगर आप एक जागृत नागरिक है और अपने आसपास की घटनाओं या अपने क्षेत्र की समस्याओं को हमारे साथ साझा कर अपने गाँव, शहर और देश को और बेहतर बनाना चाहते हैं तो जुड़िए हमसे अपनी रिपोर्ट के जरिए. ahmedabadvocalsteam@gmail.com

Follow us on

Copyright © 2021  |  All Rights Reserved.

Powered By Newsify Network Pvt. Ltd.