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FPIs का भारतीय शेयरों में 13,000 करोड़ रुपये से ज्यादा का निवेश, देखें ताजा आंकड़े

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Posted On:Monday, June 30, 2025

भारतीय शेयर बाजार में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPIs) की सक्रियता ने एक बार फिर सकारात्मक रुझान दिखाया है। नेशनल सिक्योरिटीज डिपॉजिटरी लिमिटेड (NSDL) के ताज़ा आंकड़ों के अनुसार, 23 जून से 27 जून 2025 के बीच विदेशी निवेशकों ने भारतीय बाजारों में 13,107.54 करोड़ रुपये का शुद्ध निवेश किया है। इस नए निवेश के साथ जून महीने का कुल शुद्ध निवेश 8,915 करोड़ रुपये तक पहुँच गया है, जो कि निवेशकों के बढ़ते भरोसे और भारत की आर्थिक स्थिरता का संकेत है।

भारी खरीदारी से बाजार में जोश

इस सप्ताह की शुरुआत और अंत, यानि सोमवार और शुक्रवार को, बाजार में सबसे ज्यादा विदेशी निवेश देखने को मिला। निवेशकों द्वारा भारी खरीदारी के चलते बाजार में एक सकारात्मक ऊर्जा बनी रही। इससे यह स्पष्ट हुआ कि विदेशी निवेशक भारत को दीर्घकालिक निवेश के लिए अब अधिक स्थिर और लाभकारी बाजार के रूप में देख रहे हैं।

वैश्विक तनाव में कमी का असर

पिछले कुछ महीनों में अमेरिका, ईरान और इजरायल के बीच बढ़ते तनाव ने वैश्विक बाजारों में अस्थिरता पैदा की थी। लेकिन हालिया सप्ताहों में इन देशों के बीच भू-राजनीतिक तनाव में थोड़ी राहत देखने को मिली है। इसका सीधा असर निवेश धारणा पर पड़ा है। जैसे ही वैश्विक स्तर पर स्थिरता दिखी, विदेशी निवेशक भारत जैसे उभरते हुए बाजारों की ओर आकर्षित होने लगे।

भारत की आर्थिक स्थिरता और मजबूत नीतियों ने निवेशकों को भरोसा दिलाया है कि यहां का बाजार उतार-चढ़ाव के बावजूद सुरक्षित और रिटर्न देने वाला है।

घरेलू मोर्चे पर आरबीआई की नीतियों का प्रभाव

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने हाल ही में मौद्रिक नीति समिति (MPC) की बैठक में ब्याज दरों में 50 आधार अंकों की कटौती की है। यह निर्णय देश के आर्थिक विकास को गति देने के उद्देश्य से लिया गया है। ब्याज दरों में कटौती से ऋण लेना सस्ता हो जाता है, जिससे औद्योगिक और उपभोक्ता खर्च में इजाफा होता है।

साथ ही, देश में मुद्रास्फीति का स्तर नियंत्रित बना हुआ है, जो निवेशकों के लिए एक अतिरिक्त सकारात्मक संकेत है। जब महंगाई दर स्थिर होती है, तो निवेशकों को बाजार में निवेश करने का अधिक भरोसा होता है, क्योंकि जोखिम घटता है और लाभ की संभावनाएं बढ़ती हैं।

मई में रिकॉर्ड निवेश

जून से पहले, मई 2025 विदेशी निवेश के लिहाज से एक ऐतिहासिक महीना रहा। उस दौरान 19,860 करोड़ रुपये का शुद्ध निवेश हुआ, जो 2025 का अब तक का सर्वाधिक मासिक निवेश रहा। इस निवेश प्रवाह ने भारत को एशिया के अन्य बाजारों की तुलना में कहीं अधिक आकर्षक बना दिया है।

यह भी देखा गया है कि भारतीय इक्विटी बाजार, विशेषकर बैंकिंग, इंफ्रास्ट्रक्चर, ऑटो और FMCG सेक्टर में निवेशकों ने खास रुचि दिखाई है। इसका प्रमुख कारण इन क्षेत्रों में नीति समर्थन, सरकारी योजनाएं और आर्थिक पुनरुद्धार की उम्मीदें हैं।

भारत बना आकर्षक निवेश गंतव्य

भारत की मजबूत आर्थिक बुनियाद, राजनीतिक स्थिरता और उद्यमी परिवेश ने देश को वैश्विक निवेश मानचित्र पर एक भरोसेमंद गंतव्य बना दिया है। साथ ही, मेक इन इंडिया, स्टार्टअप इंडिया, और डिजिटल इंडिया जैसी योजनाओं ने निवेशकों के लिए एक स्थायी दीर्घकालिक दृष्टिकोण प्रस्तुत किया है।

ग्लोबल इनवेस्टमेंट बैंकिंग रिपोर्ट्स और रेटिंग एजेंसियों ने भी भारत की विकास दर और निवेश क्षमता को लेकर सकारात्मक आकलन प्रस्तुत किया है, जिससे एफपीआई धारणा और मजबूत हुई है।

निष्कर्ष

जून 2025 में विदेशी निवेशकों द्वारा किया गया शुद्ध निवेश न केवल भारत की अर्थव्यवस्था में बढ़ते विश्वास को दर्शाता है, बल्कि यह भी प्रमाणित करता है कि भारत वैश्विक आर्थिक परिदृश्य में स्थिरता और प्रगति का प्रतीक बनता जा रहा है। अमेरिका-ईरान-इजरायल तनाव में कमी, आरबीआई की उदार नीतियां और वैश्विक धारणा में सुधार ने मिलकर भारत को फिर से एक हॉट इन्वेस्टमेंट डेस्टिनेशन बना दिया है।

अगर आने वाले समय में यही रुझान बना रहा, तो भारतीय बाजारों में एफपीआई का प्रवाह और तेज हो सकता है, जिससे न केवल शेयर बाजार को गति मिलेगी, बल्कि समग्र अर्थव्यवस्था को भी मजबूत समर्थन प्राप्त होगा। निवेशकों के लिए यह समय अपने पोर्टफोलियो में विविधता लाने और भारत जैसे स्थिर बाजार में हिस्सेदारी बढ़ाने का उपयुक्त अवसर हो सकता है।


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