ताजा खबर
साउथ गोवा में पर्यटक का ऑनलाइन कैब सफर बना बुरा अनुभव, तीन ड्राइवरों पर FIR दर्ज   ||    एयर इंडिया फ्लाइट 171 हादसा: सेफ्टी मैटर्स फाउंडेशन ने सुप्रीम कोर्ट में मांगी स्वतंत्र जांच   ||    दीपिका पादुकोण का ‘कल्कि 2898 एडी’ सीक्वल से बाहर होने पर नाग आश्विन ने लिखा एक क्रिप्टिक पोस्ट   ||    ‘लॉर्ड कर्ज़न की हवेली’: रहस्य, ह्यूमर और देसी ट्विस्ट से भरपूर डिनर पार्टी को मिली रिलीज़ डेट!   ||    कांतारा चैप्टर 1 का ट्रेलर इस दिन होगा रिलीज़   ||    19 सितंबर का इतिहास: भारत और विश्व में घटित प्रमुख घटनाएं   ||    Fact Check: राहुल गांधी के खिलाफ मल्लिकार्जुन खरगे ने दिया बयान? यहां जानें वायरल Video का सच   ||    Aaj Ka Rashifal: मेष से लेकर मीन राशिवालों के लिए कैसा रहेगा आज का दिन? पढ़ें 19 सितंबर 2025 का राशि...   ||    India vs Oman: फिर होगा 18 साल पहले जैसा चमत्कार? अभिषेक शर्मा के पास गुरु युवराज सिंह को ‘दक्षिणा’ ...   ||    बेस्ट थ्रो के बाद भी मेडल से चूके सचिन यादव, अगर ऐसा होता तो पक्का था पदक, पढ़ें इनसाइड स्टोरी   ||   

Shri Krishna Leela Stotra: आज पूजा के समय करें इस चमत्कारी स्तोत्र का पाठ, सभी संकटों से मिलेगी निजात

Photo Source :

Posted On:Wednesday, November 22, 2023

सनातन धर्म में बुधवार का दिन जगत के पालनकर्ता भगवान श्रीकृष्ण को समर्पित है। इस दिन भगवान कृष्ण और राधा रानी की पूजा की जाती है। धार्मिक मान्यता है कि बुधवार के दिन भगवान श्रीकृष्ण और श्रीजी की पूजा-अर्चना करने से साधक को मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। साथ ही श्रीजी की कृपा से घर में सुख, समृद्धि और खुशहाली आती है। इसलिए बुधवार के दिन भगवान श्रीकृष्ण की विधिपूर्वक पूजा की जाती है। अगर आप भी भगवान कृष्ण की कृपा पाना चाहते हैं तो बुधवार के दिन कृष्ण कन्हैया और राधा रानी की पूजा करें। पूजा करते समय कृष्ण लीला स्तोत्र का पाठ भी करें।

कृष्ण लीला स्तोत्रम्

भूपालच्छदि दुष्टदैत्यनिवहैर्भारातुरां दुःखितां,

भूमिं दृष्टवता सरोरुहभुवा संप्रार्थितः सादरं ।

देवो भक्त-दयानिधिर्यदुकुलं शेषेण साकं मुदा,

देवक्या: सुकृताङ्कुरः सुरभयन् कृष्णोऽनिशं पातु वः॥

जातः कंसभयाद् व्रजं गमितवान् पित्रा शिशु: शौरिणा,

साकं पूतनया तथैव शकटं वात्यासुरं चार्दयन् ।

मात्रे विश्वमिदं प्रदर्श्य वदने निर्मूलयन्नर्जुनौ,

निघ्नन् वत्सबकाघनामदितिजान् कृष्णोऽनिशम् पातु वः ॥

ब्रह्माणं भ्रमयंश्च धेनुकरिपुर्निर्मर्दयन् काळियं,

पीत्वाग्निं स्वजनौघघस्मरशिखम् निघ्नन् प्रलम्बासुरम् |

गोपीनां वसनं हरन्द्विजकुलस्त्रीणां च मुक्तिप्रदो,

देवेन्द्रं दमयन्करेण गिरिधृक् कृष्णोऽनिशं पातु वः ॥

इन्द्रेणाशुकृताभिषेक उदधेर्नन्दं तथा पालयन्,

क्रीडन् गोपनितम्बिनीभिरहितो नन्दस्य मुक्तिं दिशन् ।

गोपी-हारक–शङ्खचूड मदहृन्निघ्नन्नरिष्टासुरं,

केशिव्योमनिशाचरौ च बलिनौ कृष्णोऽनिशम् पातु वः॥

अक्रूराय निदर्शयन्निजवपुर्निर्णेजकं चूर्णयन्,

कुब्जां सुन्दर-रूपिणीं विरचयन् कोदण्डमाखण्डयन् ।

मत्तेभम् विनिपात्य दन्तयुगलीं उत्पाटयन्मुष्टिभिः,

चाणूरं सहमुष्टिकं विदलयन्कृष्णोऽनिशं पातु वः ॥

नीत्वा मल्लमहासुरान् यमपुरीं निर्वर्ण्य दुर्वादिनं,

कंसं मञ्चगतं निपात्य तरसा पञ्चत्वमापादयन्।

तातं मातरमुग्रसेनमचिरान्निर्मोचयन्बन्धनात्,

राज्यं तस्य दिशन्नुपासितगुरुः कृष्णोऽनिशं पातु वः ॥

हत्वा पञ्चजनं मृतं च गुरवे दत्वा सुतं मागधं,

जित्वा तौ च सृगालकालयवनौ हत्वा च निर्मोक्षयन् ।

पातालं मुचुकुन्दमाशु महिषीरष्टौ स्पृशन् पाणिना,

तं हंसं डिभकं निपात्य मुदितः कृष्णोऽनिशं पातु वः ॥

घण्टाकर्णगतिं वितीर्य कलधौताद्रौ गिरीशाद्वरं

विन्दन्नङ्गजमात्मजं च जनयन्निष्प्राणयन्पौण्ड्रकम् ।

दग्द्ध्वा काशिपुरीं स्यमन्तकमणिं कीर्त्या स्वयं भूषयन्,

कुर्वाणः शतधन्वनोऽपि निधनं कृष्णोऽनिशं पातु वः ॥

भिन्दानश्च मुरासुरं च नरकं धात्रीं नयन्स्वस्तरुं,

षट्साहस्रयुतायुतं परिणयन्नुत्पादयन्नात्मजान् ।

पार्थेनैव च खण्डवाख्यविपिनं निर्द्दाहयन्मोचयन्,

भूपान्बन्धनतश्च चेदिपरिपुः कृष्णोऽनिशं पातु वः ॥

कौन्तेयेन च कारयन्क्रतुवरं सौभं च निघ्नन्नृगं,

खातादाशु विमोचयंश्च द्विविदं निष्पीडयन्वानरम् ।

छित्वा बाणभुजान् मृधे च गिरिशं जित्वा गणैरन्वितं,

दत्वा वत्कलमन्तकाय मुदितः कृष्णोऽनिशं पातु वः ॥

कौन्तेयैरुपसंहरन्वसुमतीभारं कुचेलोदयं,

कुर्वाणोपि च रुग्मिणं विदलयन्संतोषयन्नारदम् ।

विप्रायाशु समर्पयन्मृतसुतान्कालिङ्गकं कालयन्,

मातुः षट्तनयान्प्रदर्श्य सुखयन् कृष्णोऽनिशं पातु वः॥

अद्धा बुद्धिमदुद्धवाय विमलज्ञानं मुदैवादिशन्

नानानाकिनिकायचारणगणैरुद्बोधितात्मा स्वयम् ।

मायां मोहमयीं विधाय विततां उन्मूलयन्स्वं कुलं,

देहं चापि पयस्समुद्रवसतिः कृष्णोऽनिशं पातु वः ॥

कृष्णाङ्घ्रिद्वयभक्तिमात्रविगळत्सारस्वतश्लाघकैः,

श्लोकैर्द्वादशभिः समस्तचरितं संक्षिप्य सम्पादितम् ।

स्तोत्रं कृष्णकृतावतारविषयं सम्यक्पठन् मानुषो,

विन्दन्कीर्तिमरोगतां च कवितां विष्णोः पदं यास्यति॥


अहमदाबाद और देश, दुनियाँ की ताजा ख़बरे हमारे Facebook पर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें,
और Telegram चैनल पर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें



मेरा गाँव मेरा देश

अगर आप एक जागृत नागरिक है और अपने आसपास की घटनाओं या अपने क्षेत्र की समस्याओं को हमारे साथ साझा कर अपने गाँव, शहर और देश को और बेहतर बनाना चाहते हैं तो जुड़िए हमसे अपनी रिपोर्ट के जरिए. ahmedabadvocalsteam@gmail.com

Follow us on

Copyright © 2021  |  All Rights Reserved.

Powered By Newsify Network Pvt. Ltd.