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पहली महिला चीफ जस्टिस, सरकार के खिलाफ सख्त रवैया, जानिए सुशीला कार्की के पीएम बनने की इनसाइड स्टोरी

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Posted On:Friday, September 12, 2025

नेपाल में जेन-जी आंदोलन के बाद देश को एक अंतरिम सरकार की जरूरत महसूस हो रही है, जो आगामी चुनाव करवाकर नई निर्वाचित सरकार का गठन सुनिश्चित करे। इस वक्त अंतरिम प्रधानमंत्री के लिए सुशीला कार्की का नाम सबसे ऊपर चर्चा में है। हालांकि, जेन-जी आंदोलन के विभिन्न गुटों में अलग-अलग नामों को लेकर बहस जारी है। 11 सितंबर को कुलमन घिसिंग नाम भी सामने आया, जिन्हें जेन-जी के एक समूह ने अंतरिम प्रधानमंत्री बनाने की इच्छा जताई है। लेकिन सबसे बड़ा सवाल यह है कि आखिर अंतरिम सरकार के लिए प्रधानमंत्री का चुनाव कौन करता है और यह प्रक्रिया कैसे होती है? आइए, इस पूरे मामले को विस्तार से समझते हैं।

अंतरिम सरकार का महत्व और प्रधानमंत्री का चयन

अंतरिम सरकार का मुख्य काम देश में शांतिपूर्ण और निष्पक्ष चुनाव कराना होता है, ताकि लोकतंत्र की प्रक्रिया सुचारू रूप से जारी रह सके। नेपाल में जेन-जी आंदोलन के दौरान विभिन्न युवाओं और सामाजिक समूहों ने राजनीतिक सुधार की मांग उठाई। आंदोलन की यह ताकत अब देश की राजनीतिक दिशा तय करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। अंतरिम प्रधानमंत्री के चयन को लेकर व्यापक चर्चाएं चल रही हैं, जिसमें जेन-जी आंदोलन के अलग-अलग गुट अपनी पसंद का नाम सामने ला रहे हैं।

कैसे चुना गया सुशीला कार्की का नाम?

बीबीसी की एक रिपोर्ट के मुताबिक, अंतरिम सरकार के लिए नाम चयन प्रक्रिया को समझने के लिए नेपाल की राजनीतिक जटिलताओं को जानना जरूरी है। जेन-जी आंदोलन के भीतर कई अलग-अलग गुट और नेता हैं। ऐसे में सभी गुटों का समर्थन हासिल करना चुनौतीपूर्ण होता है। इस समस्या को हल करने के लिए ‘डिस्कॉर्ड’ नामक डिजिटल प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल किया गया, जहां लगभग 10 हजार लोगों ने हिस्सा लिया। यहां एक मतदान प्रक्रिया आयोजित की गई, जिसमें विभिन्न नामों पर वोट डाले गए।

डिस्कॉर्ड प्लेटफॉर्म पर वोटिंग की सुरक्षा हमेशा सुनिश्चित नहीं हो पाती क्योंकि नकली प्रोफाइल भी शामिल हो सकते हैं। इसलिए वोटों की जांच और सत्यापन की प्रक्रिया भी अपनाई जाती है। इस प्रक्रिया में सबसे ज्यादा वोट सुशीला कार्की के नाम पर पड़े, जिससे उनका नाम सामने आया।

सुशीला कार्की कैसे बनीं पहली पसंद?

सुशीला कार्की के पक्ष में बालेंद्र शाह का समर्थन एक महत्वपूर्ण कारण रहा। बालेंद्र शाह, जो काठमांडू के लोकप्रिय मेयर हैं, ने अचानक सुशीला कार्की का समर्थन किया, जिससे युवाओं में उनके प्रति विश्वास बढ़ा। कार्की की निष्पक्षता, साफ छवि और लोकतांत्रिक मूल्यों के प्रति उनकी प्रतिबद्धता ने भी युवाओं का ध्यान आकर्षित किया। इसके अलावा, वे नेपाल की पहली महिला मुख्य न्यायधीश रह चुकी हैं, जो उनके अनुभव और नेतृत्व क्षमता को दर्शाता है।

चुनाव प्रक्रिया और युवाओं की भूमिका

जेन-जी आंदोलन युवाओं का प्रतिनिधित्व करता है और उनकी सक्रिय भागीदारी के कारण ही राजनीतिक बदलाव की उम्मीद जगी है। डिस्कॉर्ड जैसी आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल कर वोटिंग करना इस बदलाव की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है। युवाओं ने अपनी पसंद से सुशीला कार्की को समर्थन दिया है क्योंकि वे परिवर्तन की भावना के साथ न्यायपालिका की विश्वसनीयता भी लेकर आती हैं।

निष्कर्ष

नेपाल में जेन-जी आंदोलन ने देश की राजनीति में नई उम्मीद जगाई है। अंतरिम सरकार के गठन के लिए सुशीला कार्की का नाम प्रमुखता से उभर कर आया है, जो युवाओं और विभिन्न सामाजिक समूहों के बीच स्वीकार्य हैं। हालांकि, राजनीतिक संतुलन और विभिन्न गुटों की सहमति के बिना स्थिर सरकार का गठन चुनौतीपूर्ण होगा। आने वाले दिनों में यह देखना होगा कि नेपाल की राजनीतिक व्यवस्था इस महत्वपूर्ण मोड़ पर किस तरह से संतुलित और समावेशी समाधान निकालती है ताकि देश में स्थायी शांति और विकास सुनिश्चित हो सके।


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