अहमदाबाद न्यूज डेस्क: मुंबई-अहमदाबाद नेशनल हाईवे (NH-48) पर ट्रैफिक जाम ने लोगों का जीना मुहाल कर दिया है। पांचवें दिन भी हालात जस के तस हैं — वाहनों की लंबी कतारें, हॉर्न का शोर और लोगों की बेबसी साफ झलक रही है। अस्पतालों की ओर जा रही एंबुलेंसें, फ्लाइट या ट्रेन पकड़ने वाले यात्री सभी जाम में फंसे नजर आए। लोग कई-कई घंटे एक ही जगह अटके रहे, जिससे गुस्सा और परेशानी दोनों बढ़ती गईं।
जानकारी के अनुसार, यह भीषण जाम वसई और पालघर के बीच सड़क मरम्मत कार्य और भारी वाहनों के डायवर्जन की वजह से लगा है। यह हिस्सा मुंबई और गुजरात को जोड़ने वाले NH-48 का बेहद अहम भाग है, जिसे देश की आर्थिक धुरी भी कहा जाता है। लेकिन इन दिनों इस रूट पर चलना किसी सजा से कम नहीं। जहां देश के अन्य हिस्सों में नए एक्सप्रेसवे और मेट्रो प्रोजेक्ट तेजी से पूरे हो रहे हैं, वहीं NH-48 पुराने जाम और कमजोर इंफ्रास्ट्रक्चर की समस्या से जूझ रहा है।
इस जाम ने स्कूल बच्चों को भी नहीं छोड़ा। मंगलवार शाम से बुधवार सुबह तक ठाणे और मुंबई के कई स्कूलों की करीब 12 बसें वसई के पास घंटों तक फंसी रहीं। बसों में 5वीं से 10वीं तक के छात्र पिकनिक से लौट रहे थे। बच्चे बिना खाना-पानी के थकान और भूख से परेशान हो गए। कई बच्चे रोने लगे, तो स्थानीय सामाजिक संगठनों के कार्यकर्ता मौके पर पहुंचे और पानी व बिस्किट बांटकर राहत दी। एक कार्यकर्ता ने बताया, “बच्चों को इस हालत में देखना दिल दहला देने वाला था। यह प्रशासन की लापरवाही का नतीजा है।”
फिलहाल प्रशासन की कोशिशें जारी हैं, लेकिन मरम्मत कार्य और डायवर्जन ने राहत की उम्मीदों पर पानी फेर दिया है। लोगों की मांग है कि सरकार वैकल्पिक मार्ग तैयार करे और ट्रैफिक मैनेजमेंट में सुधार लाए। NH-48 की यह हालत देश के सबसे व्यस्त हाईवे की साख पर सवाल खड़ा कर रही है।