अहमदाबाद न्यूज डेस्क: दक्षिणी पूर्वी दिल्ली की साइबर थाना टीम ने उस नेटवर्क का भंडाफोड़ कर दिया है, जो अहमदाबाद से बैठकर दिल्ली-एनसीआर ही नहीं, बल्कि देशभर के साइबर ठगों को मदद पहुंचा रहा था। यह गिरोह ठगी की रकम को अपने क्रेडिट कार्ड खातों में सेटल कराता था और इस काम के बदले ठगों से कुल रकम का पांच प्रतिशत कमीशन वसूलता था। पुलिस ने अहमदाबाद से चार आरोपियों को गिरफ्तार कर उनके कब्जे से छह मोबाइल फोन, छह डेबिट कार्ड और आठ सिम कार्ड बरामद किए। प्रारंभिक जांच में सामने आया है कि ये लोग एनसीआरपी पर दर्ज 163 साइबर ठगी मामलों से जुड़े हुए हैं।
मामले की शुरुआत पालम कॉलोनी के अरविंद कुमार की शिकायत से हुई, जिन्होंने राष्ट्रीय साइबर अपराध पोर्टल पर 16 लाख रुपये की ठगी की रिपोर्ट दर्ज कराई थी। ठगों ने उन्हें ‘71 एबाट’ नाम के व्हाट्सऐप ग्रुप में जोड़कर 300 प्रतिशत मुनाफे का लालच दिया था। ग्रुप में मौजूद अन्य सदस्यों के फर्जी सकारात्मक संदेशों ने उन्हें निवेश करने के लिए प्रेरित किया। रकम अलग-अलग खातों में ट्रांसफर होने के बाद अंततः अहमदाबाद के यूको बैंक और आरबीएल बैंक होते हुए एचडीएफसी खाते में पहुंची।
पुलिस ने इन खातों की ट्रांजैक्शन हिस्ट्री खंगाली और पता लगाया कि अंतिम प्राप्तकर्ता मनीष कोष्टी, अहमदाबाद के वासना क्षेत्र का निवासी है। टीम ने मनीष को दबोचने के बाद उससे पूछताछ की, जिसके आधार पर मोहम्मद जैद, मोहम्मद एजाज और शेख अबरार को भी हिरासत में ले लिया गया। पूछताछ में सामने आया कि ये चारों देशभर के साइबर ठगों से जुड़े थे और उनके लिए पैसों को आगे बढ़ाने, छिपाने और सेटल कराने का काम करते थे।
पुलिस के अनुसार यह नेटवर्क संगठित तरीके से काम करता था और साइबर अपराधियों को वित्तीय लेनदेन सुरक्षित दिखाने की सुविधा प्रदान करता था। गिरोह का दावा है कि वे केवल पैसा सेटेल करने का काम करते थे, लेकिन पुलिस का कहना है कि यह साइबर फ्रॉड को बढ़ावा देने वाला संगठित आर्थिक अपराध है। टीम अब इनके अन्य साथियों और इस पूरे नेटवर्क की विस्तृत भूमिका की गहन जांच कर रही है।