बिहार के मुजफ्फरपुर में सामने आई एक दिल दहला देने वाली घटना ने पूरे प्रदेश को झकझोर कर रख दिया है. इस मामले को लेकर राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के नेता और नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने एनडीए सरकार पर तीखा हमला बोला है. तेजस्वी यादव ने मंगलवार को अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट करते हुए इस घटना को सरकार की नीतियों का परिणाम बताया और इसे अत्यंत गंभीर सामाजिक विफलता करार दिया.
तेजस्वी यादव ने अपने पोस्ट में मुजफ्फरपुर की इस घटना से जुड़ी अखबार की खबर साझा करते हुए लिखा कि अत्यधिक गरीबी, भुखमरी, बेरोजगारी, रिश्वतखोरी, सूदखोरी, भ्रष्टाचार और प्रशासनिक अराजकता से तंग आकर एक पूरे परिवार ने आत्महत्या जैसा कदम उठाया. उन्होंने सवाल किया कि क्या ऐसी दर्दनाक घटनाओं के पीछे पिछले 20 वर्षों से सत्ता में रही एनडीए सरकार की गरीब और जनविरोधी नीतियां जिम्मेदार नहीं हैं. साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि आरजेडी का शीर्ष प्रतिनिधिमंडल पीड़ित परिवार से मिलकर हरसंभव मदद और न्याय की दिशा में कदम उठाएगा.
दरअसल, यह पूरा मामला मुजफ्फरपुर जिले के सकरा थाना क्षेत्र के मिश्रौलिया गांव का है. सोमवार तड़के यहां एक ही परिवार के चार लोगों की मौत हो गई. मृतकों में अमरनाथ राम और उसकी तीन बेटियां शामिल हैं. चारों के शव घर के भीतर फंदे से लटके हुए मिले. इस घटना में अमरनाथ के दो बेटे किसी तरह बच गए, जो उस वक्त घर में मौजूद नहीं थे. प्रारंभिक जांच और ग्रामीणों की बातों से संकेत मिल रहे हैं कि इस त्रासदी के पीछे आर्थिक तंगी, कर्ज और घोर गरीबी प्रमुख कारण हो सकते हैं.
ग्रामीणों के अनुसार, अमरनाथ राम नियमित रूप से कोई स्थायी काम नहीं करता था. वह सुबह घर से निकलता और देर रात वापस लौटता था. आसपास के लोगों का कहना है कि उसे शराब पीने की लत भी थी, जिससे घर की आर्थिक स्थिति और खराब होती चली गई. गांव वालों ने यह भी बताया कि परिवार के सामने खाने-पीने तक की समस्या खड़ी हो गई थी. अमरनाथ की पत्नी के जीवित रहते हुए वह भी कभी-कभार मजदूरी कर घर चलाने में मदद करती थी, लेकिन उसकी मौत के बाद परिवार की स्थिति और दयनीय हो गई.
बताया जा रहा है कि अमरनाथ पर कर्ज भी था और आमदनी का कोई स्थायी जरिया नहीं होने के कारण वह मानसिक दबाव में था. गरीबी और सामाजिक असुरक्षा ने उसे इस हद तक तोड़ दिया कि उसने यह खौफनाक कदम उठा लिया. इस घटना ने एक बार फिर बिहार में सामाजिक सुरक्षा, रोजगार और गरीबी उन्मूलन की नीतियों पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं.
इस दर्दनाक हादसे के बाद सबसे बड़ी चिंता उन दो बच्चों को लेकर है, जो इस घटना में बच गए. अब उनके सिर से मां-बाप और बहनों का साया उठ चुका है. परिवार में उनकी देखभाल करने वाला कोई नहीं बचा है. ऐसे में उनके भविष्य को लेकर सवाल उठ रहे हैं कि सरकार और समाज उनके लिए क्या कदम उठाएंगे.
तेजस्वी यादव के बयान के बाद इस मुद्दे पर राजनीतिक बहस भी तेज हो गई है. विपक्ष इसे सरकार की नाकामी बता रहा है, जबकि सत्ताधारी दल की ओर से अभी तक कोई ठोस प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है. अब सबकी निगाहें आरजेडी के प्रतिनिधिमंडल पर टिकी हैं कि पीड़ित परिवार से मिलने के बाद वे क्या ठोस पहल करते हैं और सरकार पर दबाव बनाकर पीड़ित बच्चों को न्याय और सहायता दिलाने में कितने सफल होते हैं.