ताजा खबर
दीपिका पादुकोण का ‘कल्कि 2898 एडी’ सीक्वल से बाहर होने पर नाग आश्विन ने लिखा एक क्रिप्टिक पोस्ट   ||    ‘लॉर्ड कर्ज़न की हवेली’: रहस्य, ह्यूमर और देसी ट्विस्ट से भरपूर डिनर पार्टी को मिली रिलीज़ डेट!   ||    कांतारा चैप्टर 1 का ट्रेलर इस दिन होगा रिलीज़   ||    19 सितंबर का इतिहास: भारत और विश्व में घटित प्रमुख घटनाएं   ||    Fact Check: राहुल गांधी के खिलाफ मल्लिकार्जुन खरगे ने दिया बयान? यहां जानें वायरल Video का सच   ||    Aaj Ka Rashifal: मेष से लेकर मीन राशिवालों के लिए कैसा रहेगा आज का दिन? पढ़ें 19 सितंबर 2025 का राशि...   ||    India vs Oman: फिर होगा 18 साल पहले जैसा चमत्कार? अभिषेक शर्मा के पास गुरु युवराज सिंह को ‘दक्षिणा’ ...   ||    बेस्ट थ्रो के बाद भी मेडल से चूके सचिन यादव, अगर ऐसा होता तो पक्का था पदक, पढ़ें इनसाइड स्टोरी   ||    Asia Cup 2025: एक दो नहीं पूरे 5 मैच खेल सकती है टीम इंडिया, नोट कर लीजिए शेड्यूल   ||    Gold Rate : नवरात्र से पहले सोने के रेट में तगड़ी गिरावट, एक ही दिन में इतने गिरे दाम   ||   

सुप्रीम कोर्ट ने सेना की JAG शाखा में 2:1 आरक्षण नीति खत्म की, महिलाओं को समान अवसर देने का आदेश, जानिए पूरा मामला

Photo Source :

Posted On:Monday, August 11, 2025

मुंबई, 11 अगस्त, (न्यूज़ हेल्पलाइन)। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को भारतीय सेना की जज एडवोकेट जनरल (JAG) शाखा में पुरुष और महिला अधिकारियों के लिए 2:1 अनुपात में आरक्षण देने की नीति को असंवैधानिक बताते हुए रद्द कर दिया। यह फैसला दो महिला उम्मीदवारों की याचिका पर सुनवाई के बाद आया, जिनका कहना था कि मेरिट लिस्ट में उच्च स्थान होने के बावजूद सीमित महिला सीटों के कारण उन्हें मौका नहीं मिला, जबकि उनसे कम अंक पाने वाले पुरुष उम्मीदवारों का चयन कर लिया गया। अदालत ने स्पष्ट किया कि केवल पुरुषों के लिए सीटें आरक्षित करना और महिलाओं की सीटें सीमित करना समानता के अधिकार का उल्लंघन है। कोर्ट ने कहा कि असली जेंडर न्यूट्रैलिटी का मतलब है कि चयन पूरी तरह योग्यता के आधार पर हो।

इस भर्ती में कुल 9 पद थे, जिनमें 2:1 अनुपात के तहत 6 पुरुष और 3 महिलाएं चुनी गई थीं। अदालत ने कहा कि पिछले वर्षों में महिलाओं को कम मौके मिलने की भरपाई के लिए कम से कम 50% सीटें महिलाओं को दी जानी चाहिए, लेकिन यदि महिलाएं मेरिट में पुरुषों से आगे हैं, तो उन्हें 50% तक सीमित करना भी गलत होगा। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने एक याचिकाकर्ता को तुरंत सेवा में शामिल करने का आदेश दिया, जबकि दूसरी याचिकाकर्ता को राहत नहीं दी गई क्योंकि उसने प्रक्रिया के दौरान नौसेना में नौकरी जॉइन कर ली थी। इससे पहले 6 अगस्त को दिल्ली हाईकोर्ट ने भी महिलाओं को CDS परीक्षा के जरिए भारतीय सैन्य अकादमी, नौसेना अकादमी और वायुसेना अकादमी में शामिल न करने पर केंद्र सरकार से जवाब मांगा था। कोर्ट ने कहा था कि महिला अधिकारियों को सेना में स्थायी नौकरी न देना गंभीर मुद्दा है और सरकार को इसका स्पष्टीकरण देना होगा। यह सुनवाई नवंबर 2025 में होगी। याचिकाकर्ता का कहना था कि UPSC के 28 मई 2025 को जारी CDS-II परीक्षा विज्ञापन में महिलाओं को केवल OTA में आवेदन की अनुमति दी गई, जबकि बाकी तीन अकादमियों में केवल पुरुषों को ही मौका दिया गया है।


अहमदाबाद और देश, दुनियाँ की ताजा ख़बरे हमारे Facebook पर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें,
और Telegram चैनल पर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें



मेरा गाँव मेरा देश

अगर आप एक जागृत नागरिक है और अपने आसपास की घटनाओं या अपने क्षेत्र की समस्याओं को हमारे साथ साझा कर अपने गाँव, शहर और देश को और बेहतर बनाना चाहते हैं तो जुड़िए हमसे अपनी रिपोर्ट के जरिए. ahmedabadvocalsteam@gmail.com

Follow us on

Copyright © 2021  |  All Rights Reserved.

Powered By Newsify Network Pvt. Ltd.