ताजा खबर
सरदारनगर में युवक की हत्या की गुत्थी सुलझी, चार आरोपी गिरफ्तार   ||    कांग्रेस के 'न्यायपथ' अधिवेशन में सामाजिक न्याय के 3 बड़े संकल्प, राहुल गांधी का भाजपा पर तीखा वार   ||    US Helicopter Crash: अमेरिका में हडसन नदी में गिरा हेलिकॉप्टर, 6 लोगों की मौत; सामने आया VIDEO   ||    Russia Ukraine War: अब यूक्रेन की मदद के लिए आगे आया यह देश, बड़ी सैन्य सहायता का किया ऐलान   ||    ट्रंप ने लगाया टैरिफ तो एक्टिव हुआ चीन, जानें अब राष्ट्रपति शी जिनपिंग किन देशों का करने वाले हैं दौ...   ||    एक तरफ ब्रिटेन ने किया सैन्य मदद का ऐलान तो दूसरी तरफ अचानक यूक्रेन पहुंचे प्रिंस हैरी, जानें वजह   ||    ट्रम्प के टैरिफ के बाद शी जिनपिंग अपने पहले विदेश दौरे में तीन दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों का दौरा करे...   ||    अमेरिका ने ईरानी पेट्रोलियम के परिवहन के लिए भारतीय नागरिक और 2 भारत-स्थित संस्थाओं पर प्रतिबंध लगाय...   ||    तहव्वुर राणा ने सह-षड्यंत्रकारी डेविड हेडली को भारतीय वीजा दिलाने में की थी मदद'   ||    Tahawwur Rana Live Updates: अमेरिका ने कड़ी सुरक्षा में तहव्वुर राणा को भारत को सौंपा, सामने आई पहली...   ||   

जमीयत भी UCC के खिलाफ, कहा हमारा पर्सनल लॉ कुरान और सुन्नत पर आधारित है, जानिए पूरा मामला

Photo Source :

Posted On:Thursday, July 6, 2023

मुंबई, 06 जुलाई, (न्यूज़ हेल्पलाइन)। मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के बाद देश की एक और प्रमुख मुस्लिम संस्था जमीयत उलेमा-ए-हिंद भी UCC के विरोध में आ गई है। लॉ कमीशन को दिए अपने सुझाव में जमीयत ने कहा है कि वह समान नागरिक संहिता के खिलाफ है, क्योंकि यह धार्मिक स्वतंत्रता के खिलाफ है, जिसे संविधान के तहत गारंटी दी गई है। जमीयत ने 22वें विधि आयोग को भेजी गई आपत्तियों का सारांश शेयर किया, जिसमें जमीयत अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने कहा है कि UCC पर बहस शुरू करना एक राजनीतिक साजिश है। वहीं, नोबल पुरस्कार विजेता अर्थशास्त्री अमर्त्य सेन ने कहा है कि UCC से किसका फायदा होगा। सरकार जिस तरह देश चलाना चाहती है, वह गलत है।

मदनी ने लॉ कमीशन को लिखे पत्र में कहा है कि यह मुद्दा सिर्फ मुस्लिमों से ही नहीं, बल्कि सभी भारतीयों से जुड़ा हुआ है। वह यह भी बताते हैं कि मुसलमान समुदाय अपने धर्म का पालन स्वतंत्र रूप से कर रहे हैं और वे किसी भी तरह से धार्मिक मामलों और पूजा पद्धति पर समझौता नहीं करेंगे। जमीयत उलेमा-ए-हिंद की ओर से यह भी कहा गया है कि कोई भी फैसला नागरिकों पर थोपा नहीं जाना चाहिए और उन्हें निर्णय लेने से पहले आम सहमति बनाने की कोशिश की जानी चाहिए। इसके लिए सरकार को देश के सभी धर्मों के नेताओं और सामाजिक एवं आदिवासी समुदायों से सलाह और उन्हें विश्वास में लेना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा की यहां तक कि मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड और जमीयत उलेमा-ए-हिंद दावा करते हैं कि उनका पर्सनल लॉ कुरान और सुन्नत पर आधारित है और उसमें कयामत के दिन तक कोई बदलाव नहीं किया जा सकता है। वे यह स्पष्ट करते हैं कि इसका मतलब यह नहीं है कि वे असंवैधानिक बात कर रहे हैं, लेकिन संविधान द्वारा उन्हें इसकी आजादी दी गई है।


अहमदाबाद और देश, दुनियाँ की ताजा ख़बरे हमारे Facebook पर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें,
और Telegram चैनल पर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें



मेरा गाँव मेरा देश

अगर आप एक जागृत नागरिक है और अपने आसपास की घटनाओं या अपने क्षेत्र की समस्याओं को हमारे साथ साझा कर अपने गाँव, शहर और देश को और बेहतर बनाना चाहते हैं तो जुड़िए हमसे अपनी रिपोर्ट के जरिए. ahmedabadvocalsteam@gmail.com

Follow us on

Copyright © 2021  |  All Rights Reserved.

Powered By Newsify Network Pvt. Ltd.