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Kishtwar Cloudburst: 70 लोग अब भी लापता, 62 की मौत, 100 से ज्यादा जख्मी, पांचवें दिन भी जारी राहत-बचाव कार्य

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Posted On:Monday, August 18, 2025

जम्मू-कश्मीर के किश्तवाड़ जिले के चशोती गांव में 14 अगस्त को दोपहर करीब 12:30 बजे अचानक बादल फटने की भयावह घटना ने पूरे क्षेत्र को तबाही के गर्त में धकेल दिया। यह हादसा उस समय हुआ जब मचैल माता मंदिर की वार्षिक यात्रा चल रही थी और हजारों श्रद्धालु कठिन पहाड़ी रास्तों से मंदिर तक की यात्रा पर थे। इस घटना में अब तक 62 लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है, जबकि 70 से अधिक लोग अब भी लापता बताए जा रहे हैं। वहीं, 100 से ज्यादा लोग घायल हुए हैं, जिनमें से 30 की हालत गंभीर बनी हुई है। पांचवें दिन भी प्रशासन की ओर से राहत और बचाव अभियान युद्धस्तर पर जारी है।

भयावह था मंजर

हादसे के समय जब श्रद्धालु मंदिर की ओर जा रहे थे या दर्शन करके लौट रहे थे, तभी अचानक तेज गर्जना के साथ बादल फटा। इसके तुरंत बाद पहाड़ी नाले राजाई नल्ला में तेज़ जलप्रवाह आया, जो देखते ही देखते मौत की धारा बन गया। यह सैलाब अपने साथ पेड़, चट्टानें, मकान, वाहन और पुल तक बहा ले गया। कई लोग मलबे में दब गए और कई श्रद्धालु बह गए।

स्थानीय लोगों के अनुसार, कुछ ही मिनटों में पूरा इलाका वीरान हो गया। जो घर कभी खुशियों से गुलजार थे, अब वहां सिर्फ मलबा, सन्नाटा और चीखें हैं। प्रभावित इलाकों में संचार सेवाएं बाधित हैं, जिससे राहत कार्यों में काफी दिक्कतें आ रही हैं।

मचैल माता यात्रा बनी दुखद अनुभव

यह घटना उस समय घटी जब मचैल माता मंदिर की वार्षिक यात्रा चल रही थी। यह मंदिर श्रद्धालुओं के लिए साल में केवल डेढ़ महीने के लिए खुलता है और इस दौरान हजारों श्रद्धालु यहां पहुंचते हैं। मंदिर तक पहुंचने के लिए भक्तों को करीब साढ़े 8 किलोमीटर का दुर्गम पहाड़ी रास्ता पार करना पड़ता है। इस यात्रा के दौरान मौसम की अनिश्चितता हमेशा चिंता का विषय रहती है, लेकिन इस बार की आपदा ने सभी को झकझोर कर रख दिया।

राहत और बचाव अभियान

बचाव अभियान में स्थानीय प्रशासन, राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (NDRF), राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल (SDRF), सेना और पुलिस की टीमें शामिल हैं। राहत कार्यों के लिए हेलीकॉप्टर, स्निफर डॉग्स और थर्मल इमेजिंग उपकरण की मदद ली जा रही है ताकि मलबे में फंसे लोगों को तलाशा जा सके।

हालांकि इलाके की भू-भौगोलिक स्थिति और खराब मौसम के कारण राहत कार्यों में खासी चुनौतियां आ रही हैं। अब तक 40 से ज्यादा शव मलबे से निकाले जा चुके हैं, जबकि अन्य की तलाश जारी है। स्थानीय स्वयंसेवी संगठन और धार्मिक संस्थाएं भी राहत कार्यों में प्रशासन का सहयोग कर रही हैं।

सीएम और केंद्रीय मंत्री का दौरा

घटना के बाद जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने किश्तवाड़ जिले का दौरा किया और पीड़ित परिवारों से मुलाकात कर उन्हें हरसंभव मदद का आश्वासन दिया। उन्होंने पड्डर ब्लॉक के गुलाबगढ़ गांव जाकर हालात का जायजा लिया। मुख्यमंत्री ने बचाव कार्यों की गति बढ़ाने के निर्देश भी दिए।

वहीं, एक केंद्रीय मंत्री ने भी प्रभावित क्षेत्र का दौरा किया और हालात की समीक्षा की। उन्होंने केंद्र सरकार की ओर से हरसंभव सहयोग का भरोसा दिलाया। आपदाग्रस्त क्षेत्रों में आवश्यक सामग्री जैसे खाद्य पदार्थ, दवाएं, कंबल और टेंट भी वितरित किए जा रहे हैं।

राहत शिविरों में रह रहे हैं लोग

बाढ़ और मलबे की चपेट में आए लोग अब स्थायी या अस्थायी राहत शिविरों में रह रहे हैं। इन शिविरों में पीने का पानी, भोजन, प्राथमिक चिकित्सा और मानसिक परामर्श की व्यवस्था की गई है। लेकिन भारी संख्या में प्रभावित होने के कारण व्यवस्था पर दबाव है।

आगे की चुनौतियाँ

प्रशासन के सामने अब सबसे बड़ी चुनौती है लापता लोगों की तलाश, पुनर्वास की व्यवस्था और भविष्य में ऐसी घटनाओं से बचाव के लिए योजना बनाना। मौसम विभाग ने आने वाले दिनों में और बारिश की चेतावनी दी है, जिससे स्थिति और बिगड़ सकती है।

विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसे संवेदनशील इलाकों में बड़े धार्मिक आयोजनों के दौरान मौसम की जानकारी और आपातकालीन तैयारियों को और मजबूत करने की जरूरत है। साथ ही, पर्यावरणीय संतुलन बनाए रखने के लिए निर्माण कार्यों पर भी सख्त निगरानी जरूरी है।


निष्कर्ष: किश्तवाड़ की यह आपदा सिर्फ एक प्राकृतिक दुर्घटना नहीं, बल्कि एक चेतावनी भी है। यह समय है जब हम प्रकृति के प्रति अपने व्यवहार को गंभीरता से समझें और ऐसी आपदाओं से निपटने के लिए स्थानीय और राष्ट्रीय स्तर पर समन्वयित रणनीति अपनाएं। फिलहाल, सभी की प्रार्थनाएं और समर्थन इस कठिन समय में प्रभावित परिवारों के साथ हैं।


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