पूरा देश इस वक्त शोक में है। मशहूर गायक, संगीतकार और बहुभाषी प्रतिभा के धनी जुबीन गर्ग का बीते दिन सिंगापुर में एक हादसे के चलते निधनहो गया। इस खबर ने असम ही नहीं, पूरे भारत को झकझोर दिया है। अपने करिश्माई गायन और गहरे भावनात्मक स्पर्श से लाखों दिलों को छूने वालेजुबीन अब हमारे बीच नहीं रहे। उनकी याद में असम सरकार ने तीन दिन का राजकीय शोक घोषित किया है।
मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने मीडिया से बातचीत में जुबीन गर्ग के प्रति सम्मान प्रकट करते हुए बताया कि वे स्वयं दिल्ली जाकर उनका पार्थिवशरीर लाएंगे, जिसे असम में उनके घर पर अंतिम दर्शन के लिए रखा जाएगा। उन्होंने जनता से अपील की है कि वे जुबीन के परिवार को कुछ निजीसमय दें – खासकर उनके 85 वर्षीय पिता को अपने बेटे के अंतिम दर्शन शांति से करने का अवसर मिले।
जुबीन गर्ग बीते 20 सितंबर को सिंगापुर में एक म्यूजिकल शो में परफॉर्म करने पहुंचे थे। वहां स्कूबा डाइविंग के दौरान एक हादसा हो गया, औरकथित रूप से उन्होंने लाइफ जैकेट नहीं पहनी थी। उन्हें तुरंत अस्पताल ले जाया गया, लेकिन तमाम कोशिशों के बावजूद डॉक्टर उन्हें बचा नहीं सके।यह दुखद घटना एक ऐसी आवाज को हमेशा के लिए खामोश कर गई, जिसने “या अली”, “दिलरुबा”, “जाने क्या होगा रामा रे” जैसे गीतों को अमरबना दिया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी उनके निधन पर शोक व्यक्त किया। उन्होंने एक्स पर लिखा, “लोकप्रिय गायक जुबीन गर्ग के आकस्मिक निधन से स्तब्धहूं। उन्हें संगीत में उनके अमूल्य योगदान के लिए याद किया जाएगा।” यह श्रद्धांजलि बताती है कि जुबीन केवल एक गायक नहीं, बल्कि एकसांस्कृतिक सेतु थे, जिन्होंने उत्तर-पूर्व को भारत और विश्व के संगीत मानचित्र पर विशेष पहचान दिलाई।
जुबीन गर्ग ने असमिया, हिंदी, बंगाली के साथ-साथ 40 से अधिक भाषाओं में गाने गाए थे – जिनमें मलयालम, मराठी, नेपाली, तेलुगु, ओडिया, तमिल, संस्कृत तक शामिल हैं। उनका संगीत सीमाओं से परे था, और शायद यही वजह है कि उनका जाना केवल असम की नहीं, पूरे भारत की एक सांस्कृतिक क्षति है।