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क्या ट्रंप की टैरिफ लगाने की शक्तियां खत्म होंगी? सीनेट में पेश हुआ प्रस्ताव, पक्ष-विपक्ष में पड़े इतने वोट

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Posted On:Friday, October 31, 2025

अमेरिकी राजनीति में आज एक महत्वपूर्ण मोड़ आया, जब सीनेट (ऊपरी सदन) ने राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ लगाने की शक्तियों को सीमित करने वाले एक प्रस्ताव के पक्ष में मतदान किया। यह फैसला ट्रंप की आर्थिक नीतियों पर कांग्रेस में बढ़ती असहमति को दर्शाता है और राष्ट्रपति की व्यापारिक स्वायत्तता पर अंकुश लगाने की दिशा में एक बड़ा कदम हो सकता है।

रिपब्लिकन सांसदों ने तोड़ी पार्टी लाइन

इस प्रस्ताव के पक्ष में 50 मत पड़े, जबकि 46 सांसदों ने इसका विरोध किया। सबसे ज़्यादा हैरान करने वाली बात यह रही कि राष्ट्रपति ट्रंप की अपनी रिपब्लिकन पार्टी के कई सांसदों ने पार्टी लाइन तोड़ते हुए इस प्रस्ताव के पक्ष में मतदान किया। रिपब्लिकन सांसदों का यह विरोध दर्शाता है कि वे ट्रंप प्रशासन की एकतरफा व्यापार नीतियों और अंतरराष्ट्रीय समझौतों पर उनके रुख से असहमत हैं। सीनेट का यह कदम ऐसे समय में आया है जब अमेरिका में व्यापार नीतियों और विदेशी भागीदारों के साथ संबंधों को लेकर सत्ता पर लगातार सवाल खड़े हो रहे हैं। सीनेट के इस मत को राष्ट्रपति की व्यापारिक स्वायत्तता को सीमित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण राजनीतिक संदेश माना जा रहा है।

फैसले का महत्व और निहितार्थ

सीनेट द्वारा लिया गया यह निर्णय अमेरिकी व्यापार नीति में कांग्रेस की भूमिका को फिर से मजबूत करने की दिशा में एक अहम कदम है। यह लंबे समय से चली आ रही बहस को फिर से हवा देता है कि क्या राष्ट्रपति को राष्ट्रीय सुरक्षा के नाम पर एकतरफा टैरिफ लगाने की व्यापक शक्तियाँ मिलनी चाहिए। यदि यह प्रस्ताव कानून बन जाता है, तो भविष्य में कोई भी राष्ट्रपति किसी देश या क्षेत्र पर एकतरफा टैरिफ लगाने से पहले कांग्रेस की मंजूरी लेने के लिए बाध्य हो जाएगा। यह राष्ट्रपति की शक्ति पर विधायी जाँच और संतुलन (Legislative Check and Balance) को बहाल करने का एक प्रयास है।

प्रस्ताव अब प्रतिनिधि सभा को भेजा जाएगा

सीनेट द्वारा सफलतापूर्वक पारित किए जाने के बाद, इस प्रस्ताव को अब प्रतिनिधि सभा (House of Representatives) को भेजा जाएगा। प्रतिनिधि सभा में इसे कानून का रूप दिए जाने के लिए बहस और मतदान की प्रक्रिया से गुजरना होगा। अगर प्रतिनिधि सभा भी इस प्रस्ताव को पारित कर देती है, तो यह ट्रंप प्रशासन की "अमेरिका फर्स्ट" आर्थिक नीतियों पर एक बड़ा विधायी अवरोध साबित होगा। यह दिखाता है कि कांग्रेस के सदस्य अब देश की व्यापार नीतियों को नियंत्रित करने में अधिक सक्रिय भूमिका निभाने के लिए तैयार हैं, खासकर उन नीतियों के संभावित नकारात्मक प्रभावों को देखते हुए जिन्होंने अमेरिकी किसानों और कुछ उद्योगों को प्रभावित किया है। यह घटना अमेरिकी राजनीति में एक नया मोड़ लाती है, जहाँ पार्टी निष्ठा से ज़्यादा संवैधानिक सिद्धांतों को महत्व दिया जा रहा है।


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