11 जून 2025 को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सोशल मीडिया पर एक बड़ी घोषणा की। उन्होंने बताया कि अमेरिका और चीन के बीच एक नया व्यापारिक समझौता हुआ है, जो वैश्विक आर्थिक तनाव को काफी हद तक कम कर सकता है। व्हाइट हाउस ने भी इस घोषणा की पुष्टि कर दी है, जिससे यह स्पष्ट हो गया कि दुनिया की दो सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाएं एक नए आर्थिक समीकरण की ओर बढ़ रही हैं।
क्या है इस व्यापार समझौते की प्रमुख बातें?
इस समझौते के तहत अमेरिका अब चीन से आयातित वस्तुओं पर 55% टैरिफ लगाएगा, जबकि चीन अमेरिकी वस्तुओं पर सिर्फ 10% टैरिफ रखेगा। यह समझौता 9 और 10 जून को लंदन में हुई व्यापार वार्ताओं का नतीजा है, जिसमें दोनों पक्षों ने व्यापार युद्ध को कम करने और आर्थिक संबंधों को सुधारने पर काम किया।
इस समझौते की अवधि 90 दिनों की होगी, जिसके बाद दोनों देशों के बीच फिर से समीक्षा और आगे की वार्ता होगी।
पहले क्या था और अब क्या बदला?
अप्रैल 2025 में अमेरिका ने चीनी आयात पर 145% तक का भारी टैरिफ लगाया था। जवाब में चीन ने भी 125% टैरिफ लागू किए थे, जिससे व्यापार युद्ध की स्थिति बन गई थी। मई 2025 में जेनेवा में हुए एक अस्थायी समझौते के बाद अमेरिका ने अपने टैरिफ को घटाकर 30% और चीन ने 10% कर दिया था।
नई डील में अमेरिका ने तीन स्तरों के टैरिफ तय किए हैं:
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30% सामान्य व्यापार टैरिफ
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20% फेंटानिल से जुड़े टैरिफ
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10% ‘लिबरेशन डे’ नामक प्रतीकात्मक टैरिफ
इस तरह औसतन 55% टैरिफ लागू किया गया है, लेकिन सभी वस्तुओं पर यह समान रूप से नहीं लागू होगा।
किन उद्योगों को मिलेगा लाभ?
समझौते के अनुसार, चीन ने अमेरिका को दुर्लभ खनिजों (Rare Earths) और मैग्नेट की आपूर्ति सुनिश्चित करने का वादा किया है। ये तत्व इलेक्ट्रिक वाहनों, स्मार्टफोन और रक्षा उपकरणों के लिए बेहद आवश्यक हैं। दूसरी तरफ, अमेरिका ने चीनी छात्रों को अपनी यूनिवर्सिटियों में पढ़ाई करने की अनुमति देने पर सहमति जताई है।
ट्रंप ने इस डील को “हमारा रिश्ता शानदार है!” जैसे शब्दों में परिभाषित किया है, जो इस नए आर्थिक समीकरण की सकारात्मकता को दर्शाता है।
यह डील किन वार्ताओं का नतीजा है?
यह समझौता लंदन में हुई उच्च-स्तरीय वार्ताओं का परिणाम है, जिसमें अमेरिका की ओर से ट्रेजरी सचिव स्कॉट बेसेंट, वाणिज्य सचिव हॉवर्ड लटनिक, और व्यापार प्रतिनिधि जेमिसन ग्रीर शामिल थे। वहीं, चीनी प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व उप-प्रधानमंत्री ही लिफेंग ने किया।
यह बैठक 5 जून को ट्रंप और शी जिनपिंग की फोन कॉल के बाद शुरू हुई, जिसे ट्रंप ने “बेहद सकारात्मक” बताया था।
वैश्विक प्रतिक्रिया क्या रही?
इस समझौते की घोषणा के बाद वैश्विक बाजारों ने सकारात्मक प्रतिक्रिया दी है। अमेरिकी डाउ जोन्स इंडस्ट्रियल एवरेज में 1,000 अंकों से अधिक की बढ़त दर्ज की गई। विशेषज्ञों के अनुसार, यह डील वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला को स्थिर करने में मदद करेगी और उपभोक्ता वस्तुओं की कीमतों पर नियंत्रण रखेगी।
मई 2025 में चीन से अमेरिका को निर्यात में 34.5% की गिरावट दर्ज की गई थी, जो मुख्य रूप से उच्च टैरिफ के कारण हुई थी। यह समझौता चीन को अपने निर्यात को फिर से पटरी पर लाने में मदद कर सकता है।
निष्कर्ष
अमेरिका-चीन व्यापार समझौता सिर्फ दो देशों के बीच आर्थिक समझौता नहीं है, बल्कि यह पूरी वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए राहत की खबर है। इससे न केवल बाजार में स्थिरता आएगी, बल्कि टैरिफ के कारण बनी आपूर्ति श्रृंखला की बाधाएं भी कम होंगी। आने वाले दिनों में यदि यह 90-दिनी समझौता और मजबूत होता है, तो यह वैश्विक व्यापार में एक नई शुरुआत के रूप में देखा जाएगा।