अहमदाबाद न्यूज डेस्क: दिल्ली एयरपोर्ट पर करीब 36 घंटे की मशक्कत के बाद आखिरकार उड़ान सेवाएं अब धीरे-धीरे सामान्य हो रही हैं। गुरुवार को आए बड़े तकनीकी झटके के बाद शुक्रवार को देशभर में सैकड़ों फ्लाइट्स प्रभावित हुईं, जिससे एयर ट्रैफिक सिस्टम चरमरा गया था। शनिवार को हालात में सुधार जरूर दिखा, लेकिन अब सवाल उठ रहे हैं कि क्या इस गड़बड़ी को पहले ही रोका जा सकता था। एयर ट्रैफिक कंट्रोलर्स गिल्ड ऑफ इंडिया का दावा है कि उन्होंने महीनों पहले ही एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया (AAI) को सिस्टम अपग्रेड को लेकर चेताया था, लेकिन किसी ने गंभीरता से नहीं लिया।
गिल्ड ने जुलाई में अहमदाबाद एयर इंडिया हादसे के बाद एक पत्र में स्पष्ट किया था कि दिल्ली और मुंबई जैसे बड़े एयरपोर्ट्स पर ऑटोमेशन सिस्टम की कार्यक्षमता लगातार घट रही है। सिस्टम के स्लो होने और बार-बार लैग आने की वजह से उड़ान संचालन की सुरक्षा और गति पर असर पड़ रहा है। यहां तक कि सांसदों को भी पत्र लिखकर गिल्ड ने कहा था कि भारत के एयर नेविगेशन सिस्टम को इंटरनेशनल स्टैंडर्ड्स — जैसे यूरोकंट्रोल और FAA — के अनुरूप अपग्रेड करना बेहद जरूरी है। सिस्टम में AI-सक्षम सुरक्षा और रियल-टाइम डेटा शेयरिंग जैसी सुविधाओं की कमी भी बताई गई थी।
गिल्ड के मुताबिक, अधिकारियों को बार-बार चेतावनी देने के बावजूद इस ओर ध्यान नहीं दिया गया और नतीजा यह हुआ कि शुक्रवार को पूरा सिस्टम ठप पड़ गया। जानकारों का मानना है कि अगर वक्त रहते इस पर काम होता, तो न केवल उड़ानें रुकतीं नहीं बल्कि एविएशन सुरक्षा और भरोसेमंद हो जाती। इस घटना ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है कि देश के सबसे व्यस्त एयरपोर्ट्स पर भी तकनीकी अपग्रेड को लेकर लापरवाही क्यों की जाती है।
दरअसल, समस्या ऑटोमैटिक मैसेज स्विचिंग सिस्टम (AMSS) में आई थी, जो उड़ानों की योजना से जुड़ा अहम हिस्सा है। इसके फेल होते ही उड़ानों के डेटा और संदेश कंट्रोल टावर तक नहीं पहुंच रहे थे, जिसके चलते एयरलाइंस को मैन्युअल सिस्टम अपनाना पड़ा। हालांकि, एएआई का कहना है कि उड़ान सुरक्षा पर इसका कोई असर नहीं पड़ा और हवा में मौजूद सभी विमान सुरक्षित रूप से लैंड हुए। लेकिन यह घटना निश्चित रूप से भारत की एविएशन टेक्नोलॉजी को लेकर बड़े सुधार की जरूरत की ओर इशारा करती है।