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सिसोदिया आए तिहाड़ जेल से बाहर, सुप्रीम कोर्ट ने कहा, सुनवाई पूरी करने के लिए जेल में नहीं रख सकते, जानिए पूरा मामला

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Posted On:Friday, August 9, 2024

मुंबई, 09 अगस्त, (न्यूज़ हेल्पलाइन)। दिल्ली के पूर्व डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया तिहाड़ जेल से बाहर आ गए। सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें दिल्ली शराब नीति घोटाले से जुड़े CBI और ED के केस में जमानत दी। जेल से बाहर आने के बाद सिसोदिया ने AAP कार्यकर्ताओं और समर्थकों से कहा, संविधान और लोकतंत्र की ताकत से जमानत मिली है। सुप्रीम कोर्ट का दिल से धन्यवाद है। यही ताकत हमारे नेता अरविंद केजरीवाल को भी जेल से रिहा कराएगी। जब से सुप्रीम कोर्ट का आदेश आया, मेरा रोम-रोम बाबा साहेब का ऋणी महसूस कर रहा है। मुझे समझ नहीं आ रहा कि बाबासाहेब का ये ऋण कैसे चुकाऊंगा। सिसोदिया तिहाड़ से सीधे अरविंद केजरीवाल के आवास पहुंचे। उन्होंने केजरीवाल की पत्नी सुनीता केजरीवाल और परिवार के लोगों से मुलाकात की। आपको बता दें, सिसोदिया को CBI ने भ्रष्टाचार केस में 26 फरवरी 2023 को और ED ने 9 मार्च 2023 में मनी लॉन्ड्रिंग मामले में गिरफ्तार किया था। तब से वे जेल में थे। सिसोदिया ने 28 फरवरी, 2023 को मंत्री पद से इस्तीफा दिया था।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा, बार-बार देखा गया है कि किसी अपराध के लिए दोषी ठहराए जाने से पहले लंबे समय तक की जेल को मुकदमे के बिना सजा बनने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए। सिसोदिया के मामले में CBI और ED के दर्ज मामलों में कुल 493 गवाहों के नाम दिए गए हैं। इसमें कहा गया है कि इन मामलों में हजारों पेज के कागजी दस्तावेज और एक लाख से ज्यादा पेज के डिजिटल दस्तावेज शामिल हैं। यह साफ है कि इस मुकदमे के जल्द समाप्त होने की दूर-दूर तक उम्मीद नहीं है। इसलिए अपीलकर्ता (सिसोदिया) को लंबे समय के लिए कैद नहीं रखा जा सकता है। ऐसा किया गया तो संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत स्वतंत्रता के उनके मौलिक अधिकार से वंचित किया जाएगा।​ वहीं, ED-CBI का पक्ष रख रहे ए़डिशनल सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू (ASG) ने कोर्ट में सिसोदिया पर जमानत के दौरान कुछ पाबंदी लगाने की मांग की। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से आग्रह किया कि सिसोदिया पर अरविंद केजरीवाल केस की तरह शर्तें लगाई जाएं। ASG ने सिसोदिया को मुख्यमंत्री कार्यालय और सचिवालय में एंट्री पर रोक लगाने की मांग की। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने इसे रिजेक्ट कर दिया। बेंच ने कहा कि स्वतंत्रता का मामला हर दिन मायने रखता है, इसलिए हम इसकी अनुमति नहीं दे सकते हैं।


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