ताजा खबर
साउथ गोवा में पर्यटक का ऑनलाइन कैब सफर बना बुरा अनुभव, तीन ड्राइवरों पर FIR दर्ज   ||    एयर इंडिया फ्लाइट 171 हादसा: सेफ्टी मैटर्स फाउंडेशन ने सुप्रीम कोर्ट में मांगी स्वतंत्र जांच   ||    दीपिका पादुकोण का ‘कल्कि 2898 एडी’ सीक्वल से बाहर होने पर नाग आश्विन ने लिखा एक क्रिप्टिक पोस्ट   ||    ‘लॉर्ड कर्ज़न की हवेली’: रहस्य, ह्यूमर और देसी ट्विस्ट से भरपूर डिनर पार्टी को मिली रिलीज़ डेट!   ||    कांतारा चैप्टर 1 का ट्रेलर इस दिन होगा रिलीज़   ||    19 सितंबर का इतिहास: भारत और विश्व में घटित प्रमुख घटनाएं   ||    Fact Check: राहुल गांधी के खिलाफ मल्लिकार्जुन खरगे ने दिया बयान? यहां जानें वायरल Video का सच   ||    Aaj Ka Rashifal: मेष से लेकर मीन राशिवालों के लिए कैसा रहेगा आज का दिन? पढ़ें 19 सितंबर 2025 का राशि...   ||    India vs Oman: फिर होगा 18 साल पहले जैसा चमत्कार? अभिषेक शर्मा के पास गुरु युवराज सिंह को ‘दक्षिणा’ ...   ||    बेस्ट थ्रो के बाद भी मेडल से चूके सचिन यादव, अगर ऐसा होता तो पक्का था पदक, पढ़ें इनसाइड स्टोरी   ||   

Film Review - सत्‍यमेव जयते 2



यदि आप मास मसाला फिल्‍म पसंद करते हैं। तीन-तीन जॉन अब्राहम को पर्दे पर एकसाथ देखना चाहते हैं। 80 के ...


Posted On:Friday, December 10, 2021


कहानी
सत्‍या आजाद (जॉन अब्राहम) गृह मंत्री हैं। राज्‍य को भ्रष्‍टाचार से मुक्‍त‍ि दिलवाना चाहते हैं। एंटी करप्‍शन बिल लाना चाहते हैं। लेकिन सदन में उनके साथी दल के सदस्‍य उनका साथ नहीं देते हैं। बिल पर सदन में बहुमत नहीं मिलने के कारण सत्‍या निराश है। दुख इस बात का भी है कि उसकी पत्‍नी विद्या (दिव्‍या खोसला कुमार) जो विपक्ष में है, वह भी उनका साथ नहीं देती। इस बीच शहर में कुछ हत्‍याएं होती हैं। एसीपी जय आजाद (जॉन अब्राहम) को बुलाया जाता है। हत्‍यारों को पकड़ना है। अब यदि आप यह सोच रहे हैं कि यह कहानी दो भाइयों की है। भाई की भाई से लड़ाई के बीच है तो जरा ठहरिए, क्‍योंकि इस कहानी में आगे और भी बहुत कुछ है।

रिव्‍यू
साल 2018 में रिलीज 'सत्‍यमेव जयते' की कहानी भ्रष्‍टाचार और सत्ता की भूख पर आधारित थी। ऐसे में 'सत्‍यमेव जयते 2' के लिए भी वही थीम एक जरूरत बन गई थी। राइटर-डायरेक्‍टर मिलाप जावेरी और उनकी टीम ने इस थीम को बचाए और बनाए रखने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। 'सत्‍यमेव जयते 2' को 80 के दशक की मास फिल्‍म की तरह बुना गया है। जब पर्दे पर आप यह देखते हैं कि जॉन अब्राहम का किरदार निर्दोष लोगों की हत्‍या के गुनहगार को को सजा देने वाला ईमानदार इंसान बन गया है तो आपको आश्‍चर्य नहीं होता। आपको यह जानकर भी आश्‍चर्य नहीं होता कि गुनहगारों को मौत की सजा देने वाला और कोई नहीं, बल्‍क‍ि सत्‍या है। जय को तो बस इसकी ईमानदारी से जांच करने और न्‍याय दिलाने के लिए लाया गया है।

मिलाप जावेरी यह जाहिर करने में जरा भी संकोच नहीं करते हैं कि उनकी फिल्‍म 80 के दशक की फिल्‍मों को एक ट्रिब्‍यूट है। फिल्‍म के डायलॉग और स्‍क्रीनप्‍ले में यह बात पूरी तरह झलकती है। उदाहरण के लिए- सत्‍या का एसीपी को फोन कर यह कहना कि वह गुनहगारों को सजा देगा, चाहे इसके लिए कुछ भी हो जाए। या फिर जय की एंट्री वाला सीन या दादासाहब आजाद (फिर से जॉन अब्राहम) का किसान के रूप में वह सीन, जहां वह सफेद कपड़ों में एक हाथ से खेत जोतते हुए नजर आते हैं और दोनों भाई केसरिया और हरे रंग के कपड़ों में। फिल्‍म में क्‍लाइमेक्‍स से ठीक पहले एक वो भी सीन है, जहां दोनों भाई आपस में लड़ते हैं। कुल मिलाकर फिल्‍म में थीम के हिसाब से मसाला भरने में कोई कसर नहीं छोड़ी गई है।

मिलाप जावेरी ने फिल्‍म में एकसाथ कई मुद्दों को शामिल करने की कोश‍िश की है। इसमें भ्रष्‍टाचार की बात है। किसानों के आत्‍महत्‍या का मुद्दा है। महिलाओं के ख‍िलाफ अपराध का मुद्दा है। निर्भया कांड की भी चर्चा है। लोकपाल बिल है। धार्मिक सदभावना की बात है। धार्मिक सहिष्‍णुता का भी जिक्र है। और तो और राइटर-डायरेक्‍टर आज की मीडिया और सोशल मीडिया के रोल के ऊपर भी कॉमेंट करने से नहीं चूके हैं।

पर्दे पर जॉन अब्राहम का इस जांचे-परखे मसाला ओल्‍ड-स्‍कूल फिल्‍म में कंफर्ट दिखता है। फिर चाहे जुड़वा भाइयों का किरदार हो या उनके पिता का। ट्रिपल रोल के बावजूद जॉन अब्राहम ने इसे बड़ी सहजता और निश्‍च‍िंतता के भाव से निभाया है। यदि वह पर्दे पर सत्या के रूप में थोड़ा संयम दिखाते हैं, तो वे जय के रूप में या विधानसभा में लोकपाल विधेयक की लड़ाई करते हुए एक साधारण किसान दादासाहेब के किसानों के नेता बनने से भी नहीं कतराते हैं।

दिव्या खोसला कुमार अच्‍छी लगी हैं। इस पुरुष प्रधान फिल्म में भी उनके लिए एक प्रमुख भूमिका है। विद्या का किरदार ऐसा है, जो सही के साथ है। वह असहमत होने पर चुप रहना पसंद करती है, लेकिन मुद्दों पर अपने पति सत्या और मंत्री पिता (हर्ष छाया) का विरोध करने से भी गुरेज नहीं करती हैं। गौतमी कपूर फिल्‍म में दादासाहब की पत्नी और सत्या और जय की मां के किरदार में हैं और ठीक लगी हैं। इसके अलावा हर्ष छाया, अनूप सोनी, जाकिर हुसैन, दयाशंकर पांडे और साहिल वैद ने अपने हिस्से को बखूबी निभाया है।

फिल्‍म के गाने कानों को सुकून देते हैं। फिर चाहे वह वेडिंग सॉन्‍ग 'तेनु लहंगा' हो या करवा चौथ का सॉन्‍ग 'मेरी जिंदगी तू।' इसके अलावा नोरा फतेही का धमाकेदार आइम नंबर 'कुसु कुसु' भी है।

'सत्‍यमेव जयते 2' एक हार्डकोर ऐक्‍शन फिल्‍म है। जॉन अब्राहम ऐक्‍शन हीरो के रूप में निराश नहीं करते हैं। फिर चाहे वह हाथों से मोटरसाइकिल उठाना हो या एक एसयूवी के इंजन को दो हिस्‍सों में फाड़ना और धरती पर मुक्‍के से दरार लाना। ऐक्‍शन के दीवानों के लिए फिल्‍म में सीटियां बजाने के लिए बहुत कुछ है। वैसे तो हम यह समझ जाते हैं कि फिल्‍म 80 के दशक के सिनेमा को ट्रिब्‍यूट है, लेकिन फिर भी तीन जॉन अब्राहम को एकसाथ पर्दे पर एक हेलीकॉप्‍टर को उड़ने से रोकने का सीन देख ऐसा जरूर लगता है कि यह कुछ ज्‍यादा हो गया।

कुल मिलकार यदि आप मास मसाला फिल्‍म पसंद करते हैं। तीन-तीन जॉन अब्राहम को पर्दे पर एकसाथ देखना चाहते हैं। 80 के दशक की फिल्‍मों में गोता लगाने का मन है तो 'सत्‍यमेव जयते 2' देख सकते हैं।


अहमदाबाद और देश, दुनियाँ की ताजा ख़बरे हमारे Facebook पर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें,
और Telegram चैनल पर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें



You may also like !


मेरा गाँव मेरा देश

अगर आप एक जागृत नागरिक है और अपने आसपास की घटनाओं या अपने क्षेत्र की समस्याओं को हमारे साथ साझा कर अपने गाँव, शहर और देश को और बेहतर बनाना चाहते हैं तो जुड़िए हमसे अपनी रिपोर्ट के जरिए. ahmedabadvocalsteam@gmail.com

Follow us on

Copyright © 2021  |  All Rights Reserved.

Powered By Newsify Network Pvt. Ltd.