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भाजपा और संघ में कोई विवाद नहीं, मतभेद हो सकते हैं लेकिन मनभेद नहीं : मोहन भागवत, जानिए पूरा मामला

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Posted On:Thursday, August 28, 2025

मुंबई, 28 अगस्त, (न्यूज़ हेल्पलाइन)। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के प्रमुख मोहन भागवत ने गुरुवार को कहा कि भाजपा और संघ के बीच किसी तरह का विवाद नहीं है। उन्होंने स्पष्ट किया कि संघ ने हमेशा सभी सरकारों के साथ अच्छे संबंध बनाए हैं। उनके अनुसार, विचारों में मतभेद हो सकते हैं, लेकिन मनभेद कभी नहीं रहे। सरकार में फैसले लेने की प्रक्रिया पर भागवत ने कहा कि यह कहना गलत है कि सरकार के हर निर्णय के पीछे संघ होता है। उन्होंने कहा कि संघ केवल सलाह दे सकता है, लेकिन फैसले सरकार ही लेती है। अगर सारे निर्णय संघ करता तो इसमें इतना समय नहीं लगता।

75 वर्ष की उम्र में रिटायरमेंट को लेकर उठे सवाल पर उन्होंने कहा कि उन्होंने कभी ऐसा नहीं कहा कि 75 साल की उम्र में वे या कोई और रिटायर हो जाएगा। उन्होंने साफ किया कि वे वही करेंगे जो संघ उनसे कहेगा। दिल्ली के विज्ञान भवन में आयोजित संघ के 100 वर्ष पूरे होने पर तीन दिवसीय संवाद कार्यक्रम के अंतिम दिन भागवत ने कई मुद्दों पर अपनी बात रखी। उन्होंने कहा कि अन्य राजनीतिक दलों के नेताओं के साथ भी संघ के संबंध रहे हैं और कई बार गलतफहमियां दूर हुई हैं। उन्होंने हिंदू-मुस्लिम एकता को लेकर कहा कि दोनों पहले से एक हैं, केवल पूजा की पद्धतियां अलग हैं। उन्होंने यह भी कहा कि डेमोग्राफी में बदलाव चिंता का विषय है और घुसपैठ को हर हाल में रोका जाना चाहिए।

भागवत ने कहा कि शहरों और रास्तों के नाम वहां के लोगों की भावनाओं के अनुसार होने चाहिए और आक्रांताओं के नामों का महिमामंडन नहीं होना चाहिए। उन्होंने अखंड भारत को एक राजनीतिक विचार नहीं, बल्कि सांस्कृतिक और ऐतिहासिक दृष्टिकोण से जोड़ा। काशी और मथुरा आंदोलन पर उन्होंने कहा कि संघ इन आंदोलनों में शामिल नहीं होगा, लेकिन हिंदू समाज इसका आग्रह करता रहेगा। संघ प्रमुख ने आगे कहा कि भारत शांति का पक्षधर है और बुद्ध की भूमि है, लेकिन आत्मरक्षा के लिए हथियार बढ़ाना भी जरूरी है क्योंकि दुनिया के सभी देश शांति के अनुयायी नहीं हैं। उन्होंने जनसंख्या नीति पर कहा कि परिवारों में तीन से अधिक बच्चे नहीं होने चाहिए ताकि संतुलन और विकास सुनिश्चित किया जा सके। उन्होंने यह भी जताया कि नई शिक्षा नीति में तकनीक का सदुपयोग, खेल, योग और संस्कृति आधारित शिक्षा महत्वपूर्ण है। इंग्लिश सीखने में समस्या नहीं होनी चाहिए, लेकिन हिंदी और संस्कृत का महत्व भी कम नहीं होना चाहिए।


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