ताजा खबर
साउथ गोवा में पर्यटक का ऑनलाइन कैब सफर बना बुरा अनुभव, तीन ड्राइवरों पर FIR दर्ज   ||    एयर इंडिया फ्लाइट 171 हादसा: सेफ्टी मैटर्स फाउंडेशन ने सुप्रीम कोर्ट में मांगी स्वतंत्र जांच   ||    दीपिका पादुकोण का ‘कल्कि 2898 एडी’ सीक्वल से बाहर होने पर नाग आश्विन ने लिखा एक क्रिप्टिक पोस्ट   ||    ‘लॉर्ड कर्ज़न की हवेली’: रहस्य, ह्यूमर और देसी ट्विस्ट से भरपूर डिनर पार्टी को मिली रिलीज़ डेट!   ||    कांतारा चैप्टर 1 का ट्रेलर इस दिन होगा रिलीज़   ||    19 सितंबर का इतिहास: भारत और विश्व में घटित प्रमुख घटनाएं   ||    Fact Check: राहुल गांधी के खिलाफ मल्लिकार्जुन खरगे ने दिया बयान? यहां जानें वायरल Video का सच   ||    Aaj Ka Rashifal: मेष से लेकर मीन राशिवालों के लिए कैसा रहेगा आज का दिन? पढ़ें 19 सितंबर 2025 का राशि...   ||    India vs Oman: फिर होगा 18 साल पहले जैसा चमत्कार? अभिषेक शर्मा के पास गुरु युवराज सिंह को ‘दक्षिणा’ ...   ||    बेस्ट थ्रो के बाद भी मेडल से चूके सचिन यादव, अगर ऐसा होता तो पक्का था पदक, पढ़ें इनसाइड स्टोरी   ||   

POCSO एक्ट में दोषी ठहराए गए युवक को सुप्रीम कोर्ट ने नहीं दी सजा, जानिए पूरा मामला

Photo Source :

Posted On:Friday, May 23, 2025

मुंबई, 23 मई, (न्यूज़ हेल्पलाइन)। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को POCSO एक्ट के तहत दोषी करार दिए गए एक युवक को सजा नहीं देने का फैसला सुनाया। यह निर्णय जस्टिस अभय एस. ओका और जस्टिस उज्जल भुइयां की पीठ ने संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत विशेष अधिकार का इस्तेमाल करते हुए दिया। कोर्ट ने कहा कि भले ही कानूनी रूप से अपराध हुआ हो, लेकिन पीड़िता ने खुद को पीड़ित नहीं माना। उसने अदालत को बताया कि उसे सबसे ज्यादा तकलीफ इस बात से हुई कि उसे लगातार पुलिस और अदालत के चक्कर काटने पड़े और उसे आरोपी को सजा से बचाने की कोशिश करनी पड़ी। मामले में युवक उस समय दोषी ठहराया गया था, जब उसने एक नाबालिग लड़की के साथ शारीरिक संबंध बनाए थे। बाद में जब लड़की बालिग हुई तो दोनों ने विवाह कर लिया और अब वे अपने बच्चे के साथ एक परिवार के रूप में रह रहे हैं। कोर्ट ने माना कि यह मामला केवल कानूनी नहीं बल्कि सामाजिक और मानवीय दृष्टिकोण से भी काफी महत्वपूर्ण है। पीठ ने इस आधार पर सजा देने से इनकार कर दिया कि पीड़िता को उस समय उचित विकल्प और निर्णय की स्वतंत्रता नहीं दी गई।

सुप्रीम कोर्ट ने युवक को दोषी तो माना, लेकिन उसके खिलाफ सजा सुनाने से पहले पीड़िता की वर्तमान मानसिक, सामाजिक और भावनात्मक स्थिति का आकलन करने का आदेश दिया। इसके लिए पश्चिम बंगाल सरकार को निर्देश दिया गया कि वह एक विशेषज्ञ समिति गठित करे जिसमें NIMHANS या TISS जैसे संस्थानों के विशेषज्ञों के साथ एक बाल कल्याण अधिकारी शामिल हो। समिति को पीड़िता से बातचीत कर उसकी स्थिति को समझने और उसे सरकारी सहायता योजनाओं के बारे में जानकारी देने के निर्देश दिए गए। कोर्ट ने यह भी सुझाव दिया कि पीड़िता को आर्थिक मदद दी जाए और उसे दसवीं कक्षा के बाद व्यवसायिक प्रशिक्षण या पार्ट-टाइम नौकरी का अवसर उपलब्ध कराया जाए। सुप्रीम कोर्ट ने रिपोर्ट के आधार पर पाया कि पीड़िता अब आरोपी युवक से भावनात्मक रूप से जुड़ चुकी है और अपने छोटे से परिवार की सुरक्षा के लिए चिंतित रहती है। कोर्ट ने टिप्पणी की कि उसे पहले कभी सही जानकारी या निर्णय लेने का मौका नहीं मिला। वह हर स्तर पर सिस्टम से असफल हुई, समाज ने उसे दोषी ठहराया, कानून उसकी सहायता नहीं कर सका और उसके परिवार ने उसे अकेला छोड़ दिया। इस मामले की सुनवाई पहले कलकत्ता हाईकोर्ट में हुई थी, जहां 2023 में युवक को बरी कर दिया गया था। हाईकोर्ट ने उस समय कुछ विवादास्पद टिप्पणियां की थीं, जिसमें कहा गया था कि लड़कियों को अपनी यौन इच्छाओं पर नियंत्रण रखना चाहिए और समाज में हमेशा लड़की को ही हारने वाली के रूप में देखा जाता है। इन टिप्पणियों की व्यापक आलोचना के बाद सुप्रीम कोर्ट ने स्वतः संज्ञान लिया और 20 अगस्त 2024 को हाईकोर्ट का फैसला रद्द करते हुए युवक को फिर दोषी करार दिया।


अहमदाबाद और देश, दुनियाँ की ताजा ख़बरे हमारे Facebook पर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें,
और Telegram चैनल पर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें



मेरा गाँव मेरा देश

अगर आप एक जागृत नागरिक है और अपने आसपास की घटनाओं या अपने क्षेत्र की समस्याओं को हमारे साथ साझा कर अपने गाँव, शहर और देश को और बेहतर बनाना चाहते हैं तो जुड़िए हमसे अपनी रिपोर्ट के जरिए. ahmedabadvocalsteam@gmail.com

Follow us on

Copyright © 2021  |  All Rights Reserved.

Powered By Newsify Network Pvt. Ltd.