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महिलाओं की सुरक्षा पर NARI रिपोर्ट: कोहिमा सबसे सुरक्षित, पटना सबसे असुरक्षित शहरों में शामिल, जानिए पूरा मामला

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Posted On:Thursday, August 28, 2025

मुंबई, 28 अगस्त, (न्यूज़ हेल्पलाइन)। देशभर में महिलाओं की सुरक्षा को लेकर नेशनल एनुअल रिपोर्ट एंड इंडेक्स ऑन वुमेंस सेफ्टी (NARI) 2025 जारी हुई है। इस रिपोर्ट के अनुसार कोहिमा, विशाखापट्टनम, भुवनेश्वर, आइजोल, गंगटोक, ईटानगर और मुंबई देश के सबसे सुरक्षित शहरों में गिने गए हैं। इन शहरों में महिलाओं को ज्यादा बराबरी का माहौल, नागरिक भागीदारी, सशक्त पुलिस व्यवस्था और अनुकूल बुनियादी ढांचा उपलब्ध है। इसके उलट पटना, जयपुर, फरीदाबाद, दिल्ली, कोलकाता, श्रीनगर और रांची महिलाओं के लिए सबसे कम सुरक्षित शहर बताए गए हैं।

यह सर्वे 31 शहरों की 12,770 महिलाओं पर किया गया था। राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष विजया राहटकर ने गुरुवार को इस रिपोर्ट को सार्वजनिक किया। सर्वे के नतीजों में सामने आया कि 10 में से 6 महिलाएं अपने शहर में खुद को सुरक्षित मानती हैं, जबकि 40% महिलाएं असुरक्षा की भावना व्यक्त करती हैं। खासकर रात के समय पब्लिक ट्रांसपोर्ट और भीड़-भाड़ वाली जगहों पर महिलाओं की सुरक्षा को लेकर चिंताएं अधिक हैं।

रिपोर्ट में यह भी सामने आया कि शैक्षणिक संस्थानों में 86% महिलाएं दिन के समय खुद को सुरक्षित महसूस करती हैं, लेकिन रात होते ही हालात बदल जाते हैं। वहीं, कार्यस्थल पर 91% महिलाएं सुरक्षा का अनुभव करती हैं। इसके बावजूद महिलाओं का भरोसा पूरी तरह से पुलिस कार्रवाई पर नहीं है। सिर्फ 25% महिलाओं का कहना है कि सुरक्षा संबंधी शिकायतों पर प्रभावी कार्रवाई होती है। लगभग 69% महिलाओं ने माना कि मौजूदा सुरक्षा इंतजाम किसी हद तक पर्याप्त हैं, वहीं 65% महिलाओं ने 2023-24 के दौरान सुरक्षा में सुधार महसूस किया।

सर्वे में यह तथ्य भी सामने आया कि 2024 में 7% महिलाओं को सार्वजनिक स्थानों पर उत्पीड़न का सामना करना पड़ा। 24 वर्ष से कम उम्र की लड़कियों में यह आंकड़ा दोगुना यानी 14% रहा। पब्लिक ट्रांसपोर्ट और आसपास के इलाकों को उत्पीड़न की घटनाओं के लिहाज से सबसे ज्यादा असुरक्षित बताया गया। हालांकि शिकायत दर्ज कराने का मामला बेहद कम है। केवल हर तीन पीड़ितों में से एक ही महिला घटना की जानकारी पुलिस तक पहुंचाती है। रिपोर्ट के अनुसार, तीन में से दो महिलाएं उत्पीड़न की शिकायत नहीं करतीं, जिसके चलते राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के आंकड़ों में वास्तविक स्थिति सामने नहीं आ पाती। रिपोर्ट में अपराध डेटा और ऐसे सर्वेक्षणों को जोड़ने की जरूरत पर जोर दिया गया है।


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