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ऑपरेशन सिंदूर में शामिल ब्लैककैट कमांडो को दहेज हत्या के केस में सुप्रीम कोर्ट से नहीं मिली राहत, जानिए पूरा मामला

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Posted On:Tuesday, June 24, 2025

मुंबई, 24 जून, (न्यूज़ हेल्पलाइन)। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को 20 साल पुराने दहेज हत्या के मामले में दोषी पाए गए सेना के ब्लैककैट कमांडो बलजिंदर सिंह को पुलिस के समक्ष आत्मसमर्पण से छूट देने से इनकार कर दिया। आरोपी ने कोर्ट में यह दलील दी थी कि वह ऑपरेशन सिंदूर में हिस्सा ले चुका है और पिछले 20 वर्षों से राष्ट्रीय राइफल्स में सेवा दे रहा है, लेकिन अदालत ने कहा कि देश की सेवा करने से उसे घरेलू हिंसा या हत्या की छूट नहीं मिल सकती। जस्टिस उज्ज्वल भुइयां और जस्टिस विनोद चंद्रन की बेंच ने आरोपी से स्पष्ट शब्दों में कहा कि अगर आप फिजिकली इतने फिट हैं कि सैन्य ऑपरेशन का हिस्सा बन सकें, तो यह भी संभव है कि आपने अपनी पत्नी की हत्या की हो। अदालत ने कहा कि सैन्य सेवा का सम्मान अपनी जगह है, लेकिन इससे आपराधिक आरोपों से बचाव नहीं किया जा सकता। सुप्रीम कोर्ट ने बलजिंदर को दो हफ्ते में पुलिस के सामने सरेंडर करने का निर्देश दिया है।

यह मामला वर्ष 2002 का है जब बलजिंदर सिंह पर अपनी पत्नी की हत्या का आरोप लगा था। मृतका के भाई और भाभी ने अदालत में उसके खिलाफ गवाही दी थी। केस की सुनवाई के दौरान आरोपी के माता-पिता और बहन को कोर्ट ने बरी कर दिया था, जबकि बलजिंदर को 10 साल की सजा सुनाई गई थी। 2004 में ट्रायल कोर्ट ने उसे दोषी करार दिया, जिसके बाद उसने हाईकोर्ट में अपील की। हाईकोर्ट में अपील लंबी चली और बलजिंदर सजा काटने के दौरान तीन साल जेल में रहा। इसके बाद हाईकोर्ट ने उसकी सजा पर रोक लगाते हुए उसे जेल से बाहर रहने की अनुमति दे दी। करीब 20 साल बाद मई 2025 में हाईकोर्ट ने उसकी सजा को बरकरार रखा, जिसके खिलाफ वह सुप्रीम कोर्ट पहुंचा, लेकिन वहां से भी उसे राहत नहीं मिली। मामले के बाद यह सवाल भी उठा कि जब बलजिंदर को निचली अदालत ने सजा सुनाई थी तो वह सेना की नौकरी में कैसे बना रहा। इस पर वरिष्ठ अधिवक्ता विराग गुप्ता ने बताया कि जब कोई सरकारी कर्मचारी दोषी ठहराया जाता है तो विभाग उसे बर्खास्त कर सकता है। लेकिन बलजिंदर का मामला हाईकोर्ट में लंबित होने और सजा पर रोक के कारण उसकी बर्खास्तगी नहीं हो सकी। अब जबकि सुप्रीम कोर्ट ने सजा को बरकरार रखा है, तो संभावना है कि उसे सेना से निकाला जा सकता है। इस पूरे मामले में ऑपरेशन सिंदूर का जिक्र इसलिए सामने आया क्योंकि भारत ने 22 अप्रैल को पहलगाम हमले का जवाब देते हुए पाकिस्तान और पीओके में 6-7 मई की रात को एयर स्ट्राइक की थी जिसे ऑपरेशन सिंदूर नाम दिया गया था और बलजिंदर ने दावा किया था कि वह इसका हिस्सा था।


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